Designation- Secretary Award NGO
Badge number- 71182925
सुरेंद्र कुमार एक सामाजिक चिंतक, समाजवादी विचारक, समाज के लिए हमेशा सोचते और उनके लिए कार्य करते रहने वाले व्यक्तित्व. सामाजिक क्षेत्र में इनका काफी लंबा और वर्षों का अनुभव रहा है.
अभी फिलहाल यह गैर सरकारी संगठन अवार्ड के सचिव हैं. अवार्ड ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कार्य करने वाले संगठनों का एक संघ है. जयप्रकाश जी ने 1960 की दशक में इसकी स्थापना की थी.
गांधी के विचारों का अनुसरण करने वाले प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक सुरेंद्र कुमार आज के समय में भी गांधी के आदर्शों को लेकर आगे बढ़ रहे हैं. वह वर्षों तक गांधी शांति प्रतिष्ठान में राष्ट्रीय सचिव के तौर पर अपनी सेवाएं देते रहे हैं. गांधी शांति प्रतिष्ठान वही संस्थान है जहां से आजादी के बाद सबसे बड़े जन आंदोलन खड़ा करने वाले जयप्रकाश जी को आपातकाल के दौरान जेल में पकड़ कर डाला गया था.

सुरेंद्र कुमार बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं मगर इन्होंने गांधी शांति प्रतिष्ठान में रह कर देशभर में जा-जाकर सामाजिक ध्वज को फहराने का कार्य किया है. अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के साथ-साथ इन्होंने अपनी
सामाजिक जिम्मेदारियों को भी निस्वार्थ भावना से निभाया है. ऐसी मिसाल आपको शायद ही कहीं मिलें. एकदम सरल और सादा जीवन जीने वाले इंसान का देशप्रेम देखते ही बनता है. आज के समय में जब हम देखते हैं कि लोगों के पास जरा सा समय समाजिक सरोकार के लिए नहीं होता है तो वैसे में सुरेंद्र कुमार जी जैसे व्यक्ति हमारे सामने हैं जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन सामाजिक कार्यों में ही समर्पित कर दिया है. उनके लिए यह महत्वपूर्ण नहीं है कि उन्होंने क्या कमाया है उनके लिए आज ये ज्यादा जरूरी है कि उनके प्रयासों से समाज के लिए क्या बेहतर हो पाया है और यही उनकी कमाई है.

सुरेंद्र कुमार ने छात्र जीवन से ही खुद को सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित कर दिया था. बिहार इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, सिंदरी से जब वह इंजीनियरिंग कर रहे थे तो उस दौरान छात्र संघर्ष और होने वाले आंदोलनों में वह सक्रिय तौर पर अपनी भूमिका निभाते थे. उस दौरान कॉलेज समस्याओं को लेकर के, समाज के समस्याओं से जुड़े सभी आंदोलनों में यह अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते थे. उसी दौरान विद्यार्थियों द्वारा 1974 में छात्र आंदोलन शुरू हुआ, जो बेरोजगार, भ्रष्टाचार और शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन के लिए और नए बिहार के निर्माण के लिए के लिए शुरू हुआ था. जयप्रकाश जी ने बाद में छात्रों के अनुरोध पर इस आंदोलन का नेतृत्व किया. उस समय भी सुरेंद्र जी सक्रिय तौर पर इस आंदोलन में शामिल हुए.

अपनी जिज्ञासा और लालसा के कारण उन्हें उस दौरान तबके नामी और वरिष्ठ नेता के संपर्क में आने का मौका मिला. इन नेताओं से उन्हें बहुत कुछ जानने की इच्छा थी. मोरारजी देसाई, अशोक मेहता, रविंद्र मेहता, रामकृष्ण हेगड़े, सादिक अली इन सभी से सुरेंद्र जी का संपर्क बढ़ा जिसके कारण उनकी
सामाजिक गतिविधियों में रुचि बढ़ी. उन्हें लगता था कि आजादी के बाद जिस तरह का परिवर्तन आना चाहिए था वह नहीं हो सका है और ऐसे में यहां के आम नागरिकों को आगे आना चाहिए. यह सोच जब उनके मन में चल रही थी उसी दौरान जयप्रकाश जी का जन आंदोलन शुरू हुआ. सुरेंद्र जी उस जन आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने कूद पड़े. इस दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा, साथ ही संगठन के कार्यों में भी उन्होंने अपनी भूमिका निभाई. तब से लेकर आज तक लगातार व सामाजिक कार्यों में लगे हुए हैं.

उसी दौरान जब भारत में एक नई तरह की परिस्थिति बन रही थी. राजनीती बदल रही थी तब सुरेंद्र जी भी राजनीती में शामिल हुए. जनता पार्टी से भी जुड़े और पार्टी कार्य भी किया मगर राजनीति जिस तरह की गिरावट आई उससे उनके अंदर विकर्षण पैदा हुआ और राजनीतिक दलों के क्रियाकलाप से उन्होंने राजनीती से दूरी बनाने का फैसला कर लिया और उसके बाद उन्होंने सामाजिक कार्यों में ही अपने आप को बांधे रखा और गांधी शांति प्रतिष्ठान के माध्यम से उन्होंने अपना काम और अपनी गतिविधियों को जारी रखा.
सुरेंद्र जी ना सिर्फ गांधीवादी विचारक है बल्कि गांधी के विचारों को वह समाज तक निरंतर पहुंचाने का कार्य भी कर रहे हैं. गांधीजी का सपना ग्राम निर्माण की दिशा में निरंतर कार्य कर रहे हैं. मगर सुरेंद्र जी का यह भी मानना है कि आम लोगों के बीच की मानसिकता भी बहुत बदली है खास करके 1991के बाद से जब से भारतीय बाजार खुला, भूमंडलीकरण का प्रभाव आया लोगों का उपभोक्तावादी समाज के प्रति आकर्षण बढ़ा है. ऐसे में उनके कार्यों में भी गतिरोध पैदा हुआ है मगर उनका साथ ही यह भी कहना है कि निरंतर कार्य करते रहने की प्रक्रिया से ही चीजें बदलेंगी.

यहां आपको यह बताना जरुरी है कि सुरेन्द्र कुमार लगातार तीन बार गांधी शांति प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय सचिव रहे हैं. वह भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्व. राधाकृष्णन के बाद पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें यह मौका प्राप्त हुआ है. सुरेन्द्र कुमार को लगातार तीसरी बार सचिव बनाये जाने को लेकर काफी अटकलें लागाई गई थी मगर कहते हैं न कि आपका काम बोलता है. हुआ भी कुछ ऐसा ही उनको सर्वसम्मति से सचिव पद के लिए चुना गया. सुरेन्द्र कुमार, इतिहास में मुजफ्फरपुर जिला ही नहीं बल्कि बिहार के ऐसे इकलौते गांधीवादी हैं जिन्हें गांधी शांति प्रतिष्ठान के सचिव पद पर चुने जाने का गौरव प्राप्त हुआ है.
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