परिचय -
समाज सेवक बनने का कारण -
सर्वेश पाल का मानना है कि नौकरी में व्यक्ति सीमित हो जाता है तथा वह सिर्फ अपने
खाने-कमाने व निज हित के लिए ही कार्य कर पाता है. उनका मानना है कि मानवता का सच्चा धर्म ही है दूसरों की सेवा करना. इसी मानवता के
पाठ का पालन करते हुए समाज के दबे–कुचले लोगों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से
उन्होंने नौकरी छोड़ समाज-सेवक बनने का फैसला लिया. वह सदैव पिछड़े वर्ग की
सेवा व मदद करने के लिए प्रयासरत रहते हैं. उन्होंने गांव-गांव जाकर किसानों,
विधवा व गरीब महिलाओं की मदद के लिए भी कई कार्य किये हैं.
क्षेत्रीय मुद्दें -
सर्वेश
पाल के अनुसार उन्नाव जनपद में पेयजल व बिजली एक गंभीर समस्या है. वहीं शिक्षा में
भी आज इतना भ्रष्टाचार व भेदभाव है कि गरीब व्यक्ति अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा
उपलब्ध नहीं करा पा रहा है. इसके अतिरिक्त जनपद के गांवों में सड़कों की स्थिति भी
बेहद खराब है तथा कई गांवों तक पहुंचने के लिए पर्याप्त परिवहन के साधन उपलब्ध ही नहीं हैं तथा वहां मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है, यह क्षेत्र की कुछ आधारभूत
समस्याएं हैं, जिनकी ओर प्रशासन को ध्यान देने की आवश्यकता है.
राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार -
राष्ट्रीय स्तर पर सर्वेश पाल का कहना है कि भारत में बेरोजगारी एक अहम मुद्दा है.
वहीं सभी के लिए देश में समान शिक्षा व स्वास्थ्य की व्यवस्था होनी चाहिए. आज देश
में गरीब आदमी अपना उचित इलाज नहीं करवा पाता. गरीबों के लिए सरकार द्वारा सरकारी
अस्पतालों के माध्यम से सस्ती स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया
जाता है, किन्तु आज हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार के चलते गरीबों तक जरुरी सुविधाएं पहुँच नहीं पातीं हैं तथा सरकार इस ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देती. एक समाज सेवक
के रूप में वह इन समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास करते रहते हैं.
वैश्विक परिदृश्य पर विचार -
सर्वेश पाल के अनुसार वर्तमान के वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए सरकार को चाहिए कि
वह देशवासियों को समानता का पाठ पढाये. राजनैतिक दल अपने निजी फायदे के लिए लोगों को जाति-धर्म में न बांटे तथा महज वोटों
के लिए तोड़ने की राजनीति ना करें. सरकार लोगों को मंदिर–मस्जिद के मुद्दों में
उलझाने की बजाय ऐसी नीतियां बनाएं, जो सभी के लिए कल्याणकारी हो तथा जिनसे सभी
देशवासियों का भला हो.
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