परिचय
प्रियंका राणा एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. वर्तमान में वह गैर सरकारी संगठन ख़ुशी फाऊंडेशन की महासचिव हैं. इनका जन्म स्थान धामपुर, उत्तर प्रदेश है. इनके पिता सरकारी डॉक्टर के पद पर कार्यरत थे और ट्रांसफर होते रहने की वजह से प्रियंका जी की शिक्षा अलग अलग जगहों पर हुई. इनकी प्रारम्भिक शिक्षा मेरठ में हुई, इसके बाद की पढ़ाई सहारनपुर से तथा ग्रेजुएशन मेरठ से ही पूरी की. उन्होंने ग्रेजुएशन के पश्चात् फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया.
वह एक सामाजिक नवप्रवर्तक हैं, जो कई संगठनों से जुड़ी हुई हैं. वह आर.डब्ल्यू.ए फेडरशन की चेयरमैन पद पर भी कार्यरत हैं. इसके अलावा वह दिल्ली पब्लिक स्कूल की अभिभावक संघ की प्रेसीडेंट भी हैं. उन्होंने सामाजिक तथा नैतिक मूल्यों के उत्थान के लिए विभिन्न संगठनों से स्वयं को जोड़ा. वह गाजियाबाद अभिभावक संघ के भी सम्पर्क में हैं.
उद्देश्य
समाज में लोगों की बढ़ती चिंताओं को देखकर प्रियंका राणा ने समाज सेवा को जीवन का ध्येय बना लिया. समाज के हर वर्ग के लोगों को किसी न किसी कारणवश चिंतित देखते हुए, उन्होंने खुशी फाऊंडेशन को लोगों के चेहरों पर ख़ुशी बिखेरने का जरिया बनाया. अतः इनका प्रमुख उद्देश्य उदासी दूर करना तथा प्रसन्नता बाँटना था.
ख़ुशी फाउन्डेशन प्रारंभ में केवल महिला सुरक्षा तथा उत्थान पर ही कार्य करती थी, लेकिन समाज में बढ़ती कठिनाइयों के मुद्दों को देखकर उन्होंने सभी चिंता के विषयों पर कार्य करना प्रारंभ कर दिया. समाज के आम लोगों की धीमी आवाज़ को तेज़ आवाज़ में परिवर्तित करना ही इनका प्रमुख ध्येय है. उनके अनुसार आम मनुष्य अपनी निजी कारणों के चलते मुश्किलों को सहन करते रहते हैं, और अपनी आवाज़ नही उठा पाते. उन्होंने आर.डब्ल्यू.ए फेडरेशन के माध्यम से आम जनता की आवाज़ को ऊंचे स्तर तक पहुंचाने में मदद की.
सामाजिक कार्य
उन्होंने विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से कई सामाजिक उत्थान के कार्यों को सम्पादित किया. उन्होंने आम लोगों की समस्याओं को समझकर, उनको दूर करने का प्रयास किया. सामान्य लोगों को सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के किये जागरूक किया. उन्होंने महिला उत्थान और शिक्षा पर विशेष जोर दिया. उन्होंने स्कूलों की मनमानी पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए अभिभावक संघ से सम्बन्ध स्थापित किया जिसके अंतर्गत अधिक स्कूल फीस, बच्चों का शोषण, अभिभावकों तथा अध्यापकों के सामने आने वाली समस्याओं को हल किया जाता है.
अभिभावक संघ के माध्यम से हर उस व्यक्ति को सहायता प्रदान की जाती है, जो स्कूलों की मनमानी से परेशान हो, यह संस्था अभिभावक तथा अध्यापकों दोनों को मदद करती है. इनके प्रमुख कार्यों में से एक सड़क पर आवारा घूमने वाले जानवरों पर नियंत्रण करना है. उन्होंने आवारा जानवरों की सही प्रकार से देखभाल की व्यवस्था आदि को भी सही प्रकार से संचालित करवाया.
समाज सेवा के मार्ग में आई कठिनाईयां

समाज सुधार तथा समाज सेवा के मार्ग में कठिनाईयों का आना स्वाभाविक है. इनके समक्ष समाज सेवा के मार्ग में आने वाली प्रमुख कठिनाईयों में से एक पुलिस प्रशासन का सहयोग न मिलना है. कई बार तो पुलिस के द्वारा ही उत्पीड़न किया जाता था. सरकारी संस्थाओं का सुचारू रूप से कार्य न करना भी एक बहुत बड़ी समस्या है. इनके साथ कुछ एनजीओ धन कमाने के लालच में सही लोगों के कार्य करने में बाधा डालने लगे.
आवारा कुत्तों की समस्या का सही सहयोग न मिलने के कारण उचित उपाय नहीं निकला. समाज के सुधार तथा सेवा कार्य में समाज के कुछ पिछड़ी बुद्धि के लोग भी मुश्किलें पैदा करते हैं. यदि कोई मदद करने के भाव से आगे बढ़ता है तो उन पिछड़ी बुद्धि के लोगों को वह राजनीति करता दिखाई देता है और इसी सोच के कारण वह उसे सहायता नहीं करने देते. इन सभी समस्याओं के होते हुए भी प्रियंका राणा अपने समाज सेवा के मार्ग से विमुख नहीं हुई.
समाज के उत्थान के लिये योजनायें
उनके अनुसार सामाजिक उत्थान में आश्रमों का अत्यधिक महत्व होता है अतः आश्रमों का निर्माण होना चाहिए. जो एनजीओ गलत प्रचार कर केवल धन अर्जन कर रहें है, उन्हें बंद किया जाना चाहिए. सरकार को उचित रूप से कार्य करने वाले एनजीओ तथा सामाजिक संस्थाओं की मदद करनी चाहिए. स्कूल प्रशासन को अधिकतम कार्यों को स्वयं सम्पादित करना चाहिए, तथा सरकार को स्कूलों की मनमानी पर रोक लगानी चाहिए.
उनके अनुसार सुरक्षा की दृष्टी से स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे रातों को होने वाले अपराधों को रोका जा सके. इसके अलावा भ्रष्टाचार तथा घूसखोरी पर भी सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए.
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