Name-Prem Singh
Designation - Advocate and social worker, Kanpur dehat.
Innovator Code - 71182897
परिचय
प्रेम सिंह का जन्म बीकानेर, राजस्थान में हुआ था। उनके पिता सरकारी नौकरी करते थे। बारह साल नौकरी करने के बाद वह परिवार सहित मध्यप्रदेश आ गए और वहाँ बस्तर जिले में काफी समय तक रहे। वह क्षेत्र एक आदिवासी क्षेत्र था। वर्तमान में यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ के एक नक्सल इलाके में आता है। प्रेम जी की शुरुआती शिक्षा वहीं से हुई थी। कुछ समय बाद उनका पूरा परिवार लखनऊ स्थानांतरित हो गया जिस कारण उन्होंने वहीं से ही एल एल बी किया।
उनका हमेशा से ही समाज सेवा कि ओर रुझान रहा था जिस वजह से उनका लखनऊ में मन नहीं लगा और उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में रहने का निर्णय लिया। वर्तमान में वह कानपुर देहात के एक गाँव में बसे हुए हैं।
सेवा करने का प्रण
उनके पिता चाहते थे कि प्रेम जी भी सरकारी नौकरी करें लेकिन ग्रामीणों कि समस्याओं , परेशानियों, जीवन की कठिनाइयों और गरीबी को उन्होंने उन आदिवासियों के जीवन को देख कर समझा था जिसके प्रभाव के कारण वह अपना जीवन उनकी भलाई के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।
वह कहते
हैं, "मैं लोगों कि सेवा कर सकता हूँ, मैं इसी के लिए ही बना हूँ"।
अपने अनुभव को बांटते वक्त उन्होंने बताया कि उनके भारतीय रेल्वे द्वारा पश्चिम बंगाल तक कि यात्रा के दौरान काफी गरीब भूखे बच्चों को देखा जो खाने कि तलाश में कोसों दूर तक चले जाते थे । वह इस हालत को देख कर काफी प्रभावित हुए थे जिस कारण उनकी गरीबों के प्रति योगदान की भावना बढ़ गई थी।
कार्य
वह कांग्रेस इटावा से उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। फिलहाल वह अपने क्षेत्र में एच आई वी एड्स के इलाज व जागरूकता पे काम कर रहे हैं। गर्भवती महिलाओं को पी पी टी सी टी के अनुसार निरंतर जाँच से लेकर उनकी ज़रूरती सुविधाएं कराने के योगदान के साथ साथ उनके शिशुओं कि भी सही जाँच और चिकित्सा संबंधी सुविधा मिले, इसके लिए भी वह कार्य कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता कम होने के कारण ये एक ज़रूरी और गंभीर पहल है।
समाज में टी बी बीमारी ने लोगों के बीच एक अलग ही माहोल बना दिया है। संक्रामक बीमारी होने के कारण लोग मरीज़ों से दूरी बना लेते हैं जिससे वह मानसिक तौर पर प्रभाव पड़ता है। प्रेम जी के सज्जन व्यक्ति होने के कारण उनकी पीड़ा को बखूबी समझते हैं जिस वजह से वह डॉट्स प्रोग्राम से जुड़े और टी बी मरीज़ों से मित्र भाव से उनकी मदद करी और दवाइयाँ मुहैया कराई।
देश में गरीबी के कारण आज भी भारत में मृत्यु हो रहीं हैं और बच्चे भुखमरी व कुपोषण के
शिकार हो रहे हैं। यही वजह है कि एक समृद्ध परिवार से होने के बावजूद भी प्रेम जी ने नौकरी के बजाय समाज सेवा करना उचित समझा। वह कहते हैं, "यदि सब सर्विस करेंगे तो देश के विषय में कौन सोचेगा?"
क्षेत्रीय समस्याओं पर विचार
क्षेत्र की समस्याओं में प्रेम जी शिक्षा की व्यवस्था से काफी नाखुश हैं। सरकारी स्कूलों में खाना, किताबें, बस्ते मुफ्त और कम फीस होने के बावजूद भी लोग सरकार कि व्यवस्था पर भरोसा नहीं करते हैं। वह यह सवाल पूछते हैं कि यदि सरकार अच्छी शिक्षा का वादा करती है तो बड़े नेता और अधिकारी अपने बच्चों को सरकारी विद्यालयों में भेज कर इसका पालन क्यूँ नहीं करते? वह सरकार की इस पहल को गरीब बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने के बराबर मानते हैं।
वह कहते हैं, "अगर प्रजातंत्र में हम 5 साल में सरकार बदल सकते हैं तो 50-70 साल पुरानी व्यवस्था को अपनाने के लिए क्यों विवश हैं।" वह आगे बताते हैं," शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जो किसी भी देश को विकास पर पहुँचाता है "।
राष्ट्रीय मुद्दें
देश कि समस्याओं कि बात करें तो वह भ्रष्टाचार और बेरोज़गारी को प्रथम समस्या मानते हैं। मूलभूत सुविधाएँ जैसे स्वास्थ्य, सड़क, बिजली मे भी काफी कमियाँ हैं जिससे आम आदमी व ग्रामीणों का जीवन मुश्किल हो जाता है। अगली समस्या का हल उनके मुताबिक एक ज़रूरत है। स्वच्छता के प्रति जागरुकता ज़रुरी है।
निस्संदेह सरकार ने शौचालय निर्माण अच्छी पहल की परंतु उसके सही उपयोग की जानकारी देना ज़रूरी है। ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े होने के कारण प्रेम जी ने देखा कि लोग शौचालयों का इस्तेमाल कंडा रखने के लिए करते हैं। अतः स्वच्छता की जानकारी देना ज़रुरी है। रेलवे शौचालय व स्टेशन के बाहर भी लोग काफी गन्दगी फैलाते है जिससे बीमारियाँ फैलती हैं और देश कि छवि खराब होती है। सरकार को इसके लिए सख्त नियम लागू करने की आवश्यकता है।