नाम : ओंकार सिंह
पद : राष्ट्रीय सचिव, राष्ट्रीय लोक दल
नवप्रवर्तक कोड : 71183192
भारतीय संस्कृति एवम् राजनैतिक इतिहास पर गहरी पकड़ रखने वाले समाजवादी राजनेता ओंकार सिंह जी राष्ट्रीय लोक दल में राष्ट्रीय सचिव के रूप में चौ. अजीत सिंह के नेतृत्व में किसान हित की अगुवाई कर रहे हैं. साथ ही समाजवादी मंच जैसे स्वयंसेवक संगठन में राष्ट्रीय सह समन्वयक के पद पर भी कार्यरत होकर सामाजिक सेवा में अपना योगदान अंकित करा रहे हैं. मूल रूप से बहराइच के निवासी ओंकार जी वर्तमान में गोमती नगर में रह रहे हैं.
राजनैतिक पदार्पण :
आदरणीय जय प्रकाश नारायण जी से प्रेरित तथा युवावस्था से ही समाज और देश के हित की भावना रखने वाले ओंकार जी वर्ष 1990 से जनता पार्टी के साथ कार्यरत रहे हैं, पदाधिकारी के रूप में वे लंबे समय तक जनता पार्टी में अपनी सेवाएं देते रहे. तत्कालीन समय में भी उन्होंने आचार्य नरेंद्र जन शताब्दी यात्रा की, जिसमें बहुत से सम्मानित राजनेता व समाज सुधारक जैसे माननीय चंद्रशेखर जी, प्रख्यात राजनीतिज्ञ अटल बिहारी वाजपेयी जी, सम्मानीय देवगौड़ा जी आदि पद यात्रा करके देश भर से सम्मिलित हुए. माननीय चंद्र शेखर जी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के समय ओंकार जी आल इंडिया यूथ के जनरल सेक्रेटरी भी रहे.
ओंकार जी समतामूलक पार्टी में अध्यक्ष पद पर भी रहे, साथ ही जनता दल यूनाइटेड यूथ से भी अध्यक्ष पद पर सेवाएं देकर युवाओं के सामने उदाहरण रखा. वर्ष 1980-90 के मध्य अगस्त क्रांति सप्ताह के अंतर्गत ऐसा कोई भी 9 अगस्त नहीं रहा, जिसमें वे अव्यवस्था के खिलाफ आंदोलन करके जेल ना गये हो.
सामाजिक सरोकार :
समाज निर्माण कार्यों के निहितार्थ अथक परिश्रम करने में अग्रणी ओंकार जी समाज हित के ध्येय अब तक बहुत सी पद यात्राएं कर चुके हैं. वे राईट टू वर्क के लिए लखनऊ से दिल्ली तक पैदल यात्रा, शांति बनाए रखने के लिए अमृतसर से दिल्ली तक शांत पद यात्रा, देवरिया से फैज़ाबाद तक विकास यात्रा तथा पूर्व प्रधानमंत्री चंद्र शेखर जी के समय बलिया से पटना तक पद यात्रा कर चुके हैं.
इसके अतिरिक्त ओंकार जी मानवाधिकार हनन की दिशा में भी बहुत से सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर कार्य कर चुके है. बंगाल के नंदीग्राम क्षेत्र में भी उन्होंने विकास के लिए कार्य किया, साथ ही वे शोषित वर्गों के हित के साथ खड़ी सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर के साथ भी जनहित की मुहिम चला चुके है. महात्मा गांधी, जयप्रकाश नारायण, स्वामी विवेकानंद आदि महापुरुषों को अपना आदर्श मानने वाले ओंकार जी अति निष्ठा से देश की सामाजिक उन्नति के लिए क्रियाशील हैं.
लोकतंत्र का वास्तविक स्वरूप :
लोकतंत्र के सही ढांचे के बारे में ओंकार जी का मानना है कि लोकतंत्र में जागरूक जनता की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है. उनका कहना है कि लोकतंत्र की स्थापना के प्रमुख मानकों में शोषण विहीन, वर्ग विहीन एवम् जाति विहिन समाज की अवधारणा निहित थी, परंतु वर्तमान समय में सरकारें केवल जाति- संगठन पर आधारित राजनीति कर रही हैं, जो लोकतंत्र की छवि को दागदार करने जैसा है. स्वतंत्रता के समय समाजवादी आंदोलन में शामिल बड़े बड़े राजनीतिज्ञों ने जात पात और धर्म की कभी परवाह नहीं की और इसीलिए देश समरूप से स्वतंत्र हो सका. उनके अनुसार वर्तमान में भी लोकतंत्र के इसी साफ सुथरे एवम् समता से परिपूर्ण स्वरूप की आवश्यकता है.
राष्ट्रीय मुद्दों पर अवलोकन :
राष्ट्र में पसरे अलगाववाद को ओंकार जी सबसे बड़ा राष्ट्रीय मुद्दा मानते हैं, उनका स्पष्ट रूप से मानना है कि देश में वर्तमान समय में व्याप्त समस्याओं जैसे क्षेत्र वाद, भाषावाद, धर्मवाद आदि के मूल में अलगाववाद ही है.
अपनी मातृ भाषा हिन्दी की अहमियत बताते हुए ओंकार जी कहते हैं कि आज विदेशों में भी लोग हिंदी सीखने के इच्छुक है, परंतु अपने ही देश में हिंदी की कदर नहीं है. वे आगे कहते हैं कि संविधान निर्माण के समय यह बात रखी गई थी कि 14-15 वर्षों के लिए अंग्रेजी भाषा सरकारी कार्यों में उपयुक्त की जाएगी और बाद में सभी कार्य मातृ भाषा हिन्दी में ही सम्पन्न होंगे. 60 के दशक में माननीय लोहिया जी ने इसके लिए मुहिम भी चलाई, परंतु फिर भी आज देश में हिंदी पिछड़ रही है.
देश में युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या को भी ओंकार जी अहम मुद्दा मानते हैं, जो विकासपरक भारत के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है. साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता पर भी वे बल देते हैं.
किसान हित सम्बन्धी राय :
राष्ट्रीय लोक दल के साथ जुड़ने के बाद से ही ओंकार जी किसानों के हित के मुद्दे उठाते आए हैं. राष्ट्रीय किसान आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाते हुए वे किसान भूमि अधिग्रहण मामले पर बेबाकी से अपनी राय रखते हुए कहते हैं कि यदि निजी उद्योगों के लिए किसान स्वेच्छा से अपनी भूमि देना चाहे तो यह एक अलग विषय है, किन्तु सरकार द्वारा स्कूल, सड़कों, अस्पताल, बस स्टैंड आदि के नाम पर किसानों की भूमि हड़प लेने का कोई औचित्य नहीं है.
इसके साथ ही वे कृषि क्षेत्र में मौजूद समस्याओं के निपटान के लिए केंद्रीय बजट का 40% हिस्सा कृषि के लिए पारित होते देखना चाहते हैं, क्योंकि भारत मूलतः कृषि प्रधान देश है और हमारी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. कृषि क्षेत्र में ना केवल उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए अपितु किसानों को यथायोग्य सब्सिडी देने का भी से समर्थन करते हैं.
अंतरराष्ट्रीय पटल पर भारत :
देश के सर्वमान्य सिद्धांतो के प्रवक्ता ओंकार जी भारत की "वसुधैव कुटुंबकम्" वाली उदार छवि के पक्षधर रहे है. उनका मंतव्य है कि भारत के उदारवादी स्वरूप की सराहना वैश्विक स्तर पर आज भी की जाती है तथा हमारे महान लोक नायकों को विश्व भर में सम्मान दिया जाता है. उदाहरण के तौर पर ओंकार जी बताते हैं कि महात्मा गांधी के स्वर्गवास के समय विभिन्न देशों द्वारा उनके सम्मान में राष्ट्रीय ध्वज गिरा दिए गए थे और यह भारत के परम्परागत सिद्धांतों का ही प्रतीक है.
उनके अनुसार यदि हम अपने सिद्धांतवादी राजनायकों की नीतियों को आत्मसात कर लेंगे, तो निश्चय ही विश्व पटल पर प्रगति कर पाएंगे.
To know the latest research contributions or opinions from Onkar Singh or join him on study tours, events and scholarly discussions Click To Follow.