स्वभाव से मृदुभाषी मगर प्रशासनिक स्तर पर सख्त रवैया अख्तियार करने वाले डॉक्टर प्रभात कुमार मेरठ के कमिश्नर हैं. उन्हें हाल ही में मेरठ का नया का कमिश्नर नियुक्त किया गया है. डा. प्रभात कुमार को केन्द्र और प्रदेश में प्रशासनिक कार्य का लंबा अनुभव है.
उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद दूसरी बार योगी सरकार ने प्रदेश में बड़े पैमाने पर अधिकारीयों का तबादला किया है इसी के तहत डा. प्रभात को मेरठ का नया कमिश्नर नियुक्त किया गया है. 1985 बैच के इस वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को मेरठ मंडल के कमिश्नर के साथ साथ ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे, औद्योगिक विकास प्राधिकरण गौतमबुद्ध नगर का अतिरिक्त प्रभार संभालने की जिम्मेदारी भी दी गई है.
आपको बता दे कि यमुना अथॉरिटी और ग्रेटर नोएडा के चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार को सख्त फैसले लेने वाला अधिकारी माना जाता है. इससे पहले भी डॉ. प्रभात नोएडा अथॉरिटी में कार्यरत रहे हैं. वह बतौर डीसीईओ यहां करीब सवा साल तैनात रहे. नोएडा अथॉरिटी में एक समय काफी चर्चा में रहे प्लॉट अलॉटमेंट घोटाले की मुख्य आरोपी नोएडा की तत्कालीन सीईओ नीरा यादव के केस में प्रभात अहम गवाह हैं. डॉ. कुमार पहली बार इसी केस को लेकर चर्चा में आए थे. जब वह नोएडा अथॉरिटी में डीसीईओ थे तब उन्होंने इस चर्चित कॉरपोरेट ग्रुप हाउसिंग स्कीम में गड़बड़ी पकड़ी थी. इस केस में नीरा यादव जेल में हैं.

डॉ. प्रभात कुमार आईएएस बनने से पहले पेशे से डॉक्टर रह चुके हैं. डॉ. प्रभात की छवि तेजतर्रार आईएएस अधिकारी की रही है. नई जिम्मेदारियों को संभालने से पहले वह नई दिल्ली में उत्तर प्रदेश के स्थानिक आयुक्त के पद पर तैनात थे. वह जनवरी 1996 से अप्रैल 1997 तक नोएडा अथॉरिटी में कार्यरत रहे हैं. इसके साथ ही वह फतेहपुर, मुजफ्फरनगर एवं कानपुर सिटी के डीएम भी रह चुके हैं. मसूरी, मुरादाबाद और लखनऊ अथॉरिटी के वाइस चेयरमैन के तौर पर भी उन्होंने अपनी सेवा प्रदान की है. वह नागरिक उड्डयन के संयुक्त सचिव और महानिदेशक भी रह चुके हैं.
लंबा प्रशासनिक अनुभव और अपने कार्य में दक्षता उन्हें दूसरे अधिकारीयों से अलग कतार में खड़ा करता है. अपने कार्य के प्रति वह कितने गंभीर हैं उसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि में मेरठ के कमिश्नर बनने के बाद उन्होंने सभी सरकारी विभागों को आदेश देते हुए कहा कि सभी विभाग के अधिकारी शासन के निर्देशों का पालन करते हुए जनता की समस्याओं का निपटारा करें. यहीं नहीं उन्होंने साथ ही सभी को चेतावनी देते हुए कि अगर कोई अधिकारी अपने कार्यालय से अनुपस्थित रहा तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी. सभी अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि वह हमेशा सुबह 9 बजे से 11 बजे तक अपने कार्यालय में आकर जनता से मिलें और जन शिकायतों के निपटारे के लिए काम करें. डॉ. प्रभात कुमार ने इस सिलसिले में मण्डल के सभी जिलाधिकारियों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक और समस्त मण्डलीय अधिकारियों को पत्र लिखकर इस बात की जानकारी दे दी है और इसे सख्ती से पालन करने का निर्देश जारी किया है.

यहीं नहीं वह देश की अगली पीढ़ी और शिक्षा को लेकर भी बहुत गंभीर हैं. एक उदहारण देखिए अभी हाल ही में मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में लगी रचनात्मक कार्यों की प्रदर्शनी में सरकारी स्कूल में शिक्षा के स्तर को देखकर वह काफी चिंतित दिखे. उन्होंने कहा कब प्राइमरी और प्राइवेट स्कूलों के बीच ज़मीन और आसमान का अंतर खत्म होगा. डॉ. प्रभात कुमार का ध्यान बेसिक शिक्षा विभाग पर था. वह प्राथमिक विद्यालयों के शैक्षिक स्तर को लेकर बेहद ख़फा थे. उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि अध्यापकों को ही यह नहीं पता है कि उन्हें पढ़ाना क्या है और किस तरह पढ़ाना है. जब शिक्षकों ही सामान्य ज्ञान जीरो है तो फिर बच्चे क्या सीख पाएंगे. उन्होंने कहा कि प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों के लिए भी वर्कशॉप होनी चाहिए.
उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि मेरठ के पबला गांव में प्राथमिक विद्यालय को जब मैंने देखा तो लगा कि वहां शिक्षा जैसा कुछ भी नहीं. प्राइवेट स्कूल आसमान पर है और प्राथमिक विद्यालय ज़मीन पर. उन्होंने बीएसए सतेन्द्र कुमार और सीडीओ आर्याका अखौरी से ही पूछ लिया कि कब तक खत्म होगा यह ज़मीन और आसमान के बीच का अंतर. उन्होंने वहां मौजूद शिक्षिकाओं को चैलेंज दिया कि कौन दो महीने के भीतर सरकारी विद्यालयों को प्राइवेट स्कूलों के स्तर तक ला सकता है जिससे ज़मीन और आसमान के बीच के फ़र्क को खत्म किया जा सके.

डॉ. प्रभात कुमार देश और पर्यावरण के प्रति भी बेहद संजीदा नज़र आते हैं. भारत छोड़ो आन्दोलन की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मृति दिवस के आयोजन पर उन्होंने कहा आज जरुरत है कि पहले हम स्वयं को बदले तभी बदलाव आयेगा. उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन की तर्ज पर भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए भ्रष्टाचार भारत छोड़ो का आहवान किया. वह लोगों से आह्वान करते हुए कहते हैं कि शपथ लें कि भ्रष्टों का साथ नहीं देंगे, सिफ़ारिश नहीं करेंगे और नियमों का पालन करेंगे. अपने बच्चों को भी यही सिखाएँगे. साथ ही पॉलीथीन के दुषप्रभावों से आम लोगों को बचाने के लिए पॉलीथीन मुक्त मेरठ के लिये प्लास्टिक बैग मेरठ छोड़ो का नारा दिया. डॉ. प्रभात ने व्यवस्थाओं को दुरूस्त करने के लिए 20 दिन का समय दिया. उन्होंने कहा कि 01 सितम्बर से पॉलीथीन के विरूद्ध एक अभियान चलाया जाएगा. वह मर रही हिंडन नदी के पुनरुत्थान में भी लगे हुए हैं.
वाकई डॉ. प्रभात कुमार आज देश में एक मिसाल हैं. आज देश को डॉ. प्रभात जैसे ही प्रशासनिक अधिकारियों की जरुरत है.
To know the latest research contributions or opinions from Dr Prabhat Kumar or join him on study tours, events and scholarly discussions Click To Follow.