नाम - अरविंद सेन यादव
पद - लोकसभा प्रत्याशी (सीपीआई), फैजाबाद संसदीय क्षेत्र
नवप्रवर्तक कोड - 71190956
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उत्तर प्रदेश का फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र एक बहुचर्चित सीट रहा है, विशेष रूप से श्री राम मंदिर के निर्माण और स्थापना के दौरान इस सीट विशेष को लेकर लोगों के मन में एक लगा ही रुझान रहा है। अब जब लोकसभा चुनाव अपने चरम पर हैं और कुछ ही दिनों में देश के राजनीतिक भाग्य का फैसला होने जा रहा है, ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपने अपने प्रत्याशियों के साथ मैदान-ए-जंग में डटकर खड़े हैं।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) से फैजाबाद लोकसभा सीट से उतरे एक ऐसे ही उम्मीदवार है पूर्व आईपीएस अधिकारी श्री अरविंद सेन यादव, जो लीक से हटकर जमीनी स्तर के मुद्दों के साथ जनता का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार हैं। पुलिस प्रशासन में डीआईजी पद से रिटायर अरविंद सेन फैजाबाद के एक प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार से आते हैं और अपने निर्वाचन क्षेत्र को गहनता के साथ समझते हुए आगे बढ़ रहे हैं।
आइये साक्षात्कार के माध्यम से अरविंद सेन के राजनीतिक विचारों, सामाजिक सेवा क्षेत्र में उनके आगमन और उनके लोकसभा क्षेत्र के मुद्दों को लेकर चर्चा करते हैं और उनके राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को समझने का प्रयास करते हैं..
1. अरविंद सेन जी आप हमारे पाठकों को अपने बारे में जानकारी दें।
अरविंद सेन - मैं पेशे से एक आईएएस अधिकारी रहा हूं और मैंने 32 वर्ष तक पुलिस विभाग में सेवा दी है। कुछ समय पहले ही मैं डीआईजी पद से सेवनिवृत हुआ, जिसके बाद मैंने राजनीति में शामिल होकर अपने क्षेत्रवासियों के विकास के लिए काम करने का निर्णय लिया।
मेरा पारिवारिक बैकग्राउंड भी राजनीति से जुड़ा रहा है, मेरे बाबू जी श्री मित्रसेन यादव 1989 में फैजाबाद से सीपीआई से सांसद रहे, जब राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था, इसके बाद भी उन्होंने 1998 और 2004 में फैजाबाद की कमान संभाली। मेरे छोटे भाई श्री आनंद सेन भी तीन बार एमएलए और उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री रहे हैं।
2. आपने राजनीति में आने का मन क्यों बनाया? क्या राजनीति में जुड़ाव का कोई विशेष कारण रहा?
अरविंद सेन - फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र मेरे बाबूजी जी के हृदय के बहुत करीब रहा है, उन्होंने यहां धर्म निरपेक्षता की नींव रखी, यहां के मुद्दों को बार बार सदन तक पहुंचाया और मैं भी उनके पद चिन्हों पर चलते हुए उनकी इस राजनीतिक विरासत को संजोने के क्रम में राजनीति से जुड़ा हूं। राजनीति और समाज सेवा मेरे संस्कारों में रची बसी है, मेरे परिवार के आचरण में ही निर्धन वर्ग के लिए हमदर्दी की भावना है, जो राजनीति से जुड़ाव का स्त्रोत बना।
लेकिन फैजाबाद से राजनीति में शामिल होने का मुख्य कारण यह है कि अयोध्या देश की सर्वप्रमुख धार्मिक एवं सांस्कृतिक नगरी होने के बावजूद भी नेतृत्व विहीन है। यहां आज चुनाव केवल धर्म, जाति, वर्ग इन्हीं में बंटकर रह आज्ञे है, किसी किस्म की कोई नवीनता यहां दिखाई नहीं देती। लोगों में अपने मुद्दों और प्रतिनिधि के लिए जागरूकता का अभाव है। इसी के चलते मैंने राजनीति में आने और फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करने का निर्णय लिया।
3. आप फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों के बारे में कुछ बताइए।
अरविंद सेन - देखिए अयोध्या का विकास श्री राम मंदिर के सापेक्ष हुआ है, यहां विकास के नाम पर आमजन का उत्पीड़न हुआ है। सड़क चौड़ीकरण, सौंदर्यकर्ण के नाम पर लोगों के मकान गिराए गए हैं, जमीनों का अधिग्रहण हुआ है। इसे प्रगतिकरण नहीं कहेंगे कि आपकी विकास योजनाओं के कारण लोगों का जहां चार लाख का नुकसान हुआ, वहां उन्हें आपने मात्र चालीस हजार देकर बात खत्म कर दी।
दूसरे, यहां धर्म को लेकर जो राजनीति की जा रही है, उसे देखकर लगता है कि धर्म ही आज सत्ता का विषय बना गया है। इसकी जड़ों में जाकर आप देखेंगे, तो पाएंगे कि इस व्यवस्था से हमारे धर्म का ह्रास हुआ है, अभी लगता है कि हमारा धर्म किसी राजनीतिक पार्टी के अधीन होकर रह गया है। श्री राम मंदिर की स्थापना के बाद से रामनवमी पर जहां पहले 15 लाख तक श्रद्धालु मंदिर में आते ठे, वहां यह संख्या अब कुछ डेढ़ लाख तक रह गई है। सरकारी आंकड़े कुछ भी कहते हों लेकिन जमीनी हकीकत इसके विपरीत है। मीडिया चैनलों से भी अब श्री राम का विषय जैसे पूरी तरह गायब हो गया है क्योंकि सरकार ने श्री रामलला का व्यवसायीकरण करके रख दिया है, गहराई में जाकर देखेंगे तो श्री राम लला के प्रसाद तक की जिम्मेदारी एक कॉर्पोरेट कंपनी उठा रही है।

धर्म पर सत्ता इस कदर हावी हो चुकी हैं कि हम आज सपा को देखते हैं तो यादव और मुसलमान नजर आते हैं, बसपा को देखते हैं तो अनुसूचित जाति/जनजाति दिखाई देती हैं और वहीं सवर्णों और ओबीसी को देखते हैं तो भाजपा नजर आती है। यह एक प्रकार से पार्टियों के विकेन्द्रीकरण की स्थिति बन गई है, जो राजनीति का बहुत ही बिगड़ा हुआ और विकृत स्वरूप है।
इसके अलावा आज आर्थिक विषमता इतनी अधिक गहरा चुकी है कि गरीब और गरीब एवं अमीर और अमीर होता जा रहा है। लोगों को टैक्स के बोझ ने तोड़कर रख दिया है, आज जीएसटी, विद्युत कर इत्यादि लगाए जा रहे हैं, निकट भविष्य में जल कर, आवास कर भी सरकार लगाने जा रही है। किसानों को दिए जाने वाले लाभ कम कर दिए गए हैं।
चिकित्सा क्षेत्र से सेवाभाव बिल्कुल समाप्त हो गया है और इस क्षेत्र का भी व्यवसायीकरण कर दिया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में भी कोई नवीनीकरण नहीं किया गया है, कोई नया विश्वविद्यालय या शिक्षण संस्थान नहीं खोला गया है। कोई नया उद्योग भी क्षेत्र में स्थापित नहीं किया गया है। केवल जातिगत, धार्मिक और आर्थिक राजनीति को भी लगातार मुद्दा बनाया जा रहा है। गरीब की जेब से प्रतिदिन टैक्स के नाम पर उगाही हो रही है और मजदूर को उसकी मजदूरी तक से वंचित कर दिया गया है, मजदूर का काम मशीनें कर रही हैं और सारा पैसा केवल पूँजीपतियों के हाथों में जा रहा है।
इन्हीं सभी मुद्दों को देखते, समझते हुए मैं अपनी फैजाबाद की जनता के हितार्थ राजनीति में शामिल हुआ हूं और जनता को उनके इन मुद्दों के विषय में जागरूक करने का मेरा प्रयास है। अपने अब तक के अनुभवों के आधार पर अपने संसदीय क्षेत्र को विकास के नए आयाम तक ले जाना ही मेरी प्राथमिकता है। मुझे पूरी उम्मीद है कि फैजाबाद का आवाम मेरे साथ खड़ा होगा और अपनी समस्याओं की गहराई को समझते हुए मुझे उन्हें संसद में रखने का अवसर जरूर देंगे।
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