Swarntabh Kumar 1,784
Swarntabh Kumar 09/06/2022 AMt 12:00AM
नागालैंड के मुख्य सूचना आयुक्त सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रति क्या गंभीर हैं? आरटीआई के ऑनलाइन व्यवस्था में फिर इतनी देरी क्यों? पारदर्शी व्यवस्था बनाने में हिचक कैसी?
एक पारदर्शी व्यवस्था बनाने, सरकार के काम–काज पर प्रश्न करने, किसी अन्य तरह की जानकारी हासिल करने के लिए दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत ने अपनी जनता को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के रुप में एक शक्ति प्रदान की. इससे यह विश्वास जगा की इसके कारण लोकतंत्र को और भी मजबूती मिलेगी और जनता को सरकार से सवाल करने का अधिकार. लगभग 11 वर्ष हो चुके हैं सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को आये. जनता को इससे बेहद फायदा भी हुआ है और आरटीआई की उपयोगिता भी सिद्ध हो चुकी है.
लोकतंत्र की मजबूती के लिए उठाया गया यह कदम वाकई सराहनीय है मगर इसके पारदर्शिता को लेकर उठने वाले सवाल भी उतने ही जायज हैं. आइए जानने की कोशिश करते हैं की क्या नागालैंड के मुख्य सूचना आयुक्त सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को कितना पारदर्शी बनाने को तत्पर हैं? आखिर कब तक नागालैंड का सूचना आयोग अपनी जनता को आरटीआई की ऑनलाइन व्यवस्था दे पायेगी? आपने नागालैंड राज्य सूचना आयोग की वेबसाइट तो बना ली मगर वह भी बस खानापूर्ति भर ही है. बड़े-बड़े वादे मगर बिना ऑनलाइन व्यवस्था के सब निरर्थक. आपकी वेबसाइट सुलझाती कम उलझाती ज्यादा है. केंद्र का उदहारण आपके सामने है फिर भी इतना बड़ा अंतर, साहेब कुछ तो केंद्र से सबक ले पाते.
इस कानून को बने लंबा अरसा बीत गया है और साथ ही केंद्र सरकार का उदहारण भी आपके सामने है फिर भी अभी तक आप आरटीआई जैसी व्यवस्था को डिजिटल नहीं कर पायें हैं. एक और जहां पूरा भारत डिजिटल इंडिया का दंभ भर रहा है वही आप इतने पीछे है. सूचना आयोग के विभाग से ही जब सूचना पाने के लिए लोगों को इतने मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा तब दूसरे विभागों का क्या होगा.
अगर लोगों को आप ऑनलाइन आरटीआई की सुविधा दे पाए तो निसंदेह इससे आम जनता का समय, लम्बी लाइनों के झमेले से आजादी और आपके काम-काज में पारदर्शिता ही आएगी. मगर अफ़सोस आप अब तक ऐसा नहीं कर पायें हैं. बेहतर होता आप अपनी वेबसाइट पर बातों से ज्यादा काम पर भी ध्यान दिया होता.
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