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Madhya Pradesh State Information Commission

मध्य प्रदेश में राज्य सूचना आयोग का गठन राज्य सरकार की अधिसूचना क्रमांक एफ-11-11/05/1/9 दिनाॅंक 22 अगस्त, 2005 द्वारा किया गया है । धारा 15 के अनुसार राज्य सूचना आयोग में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त के अलावा राज्य सूचना आयुक्तों की संख्या जो कि 10 से अधिक नहीं होगी, आवश्यकता अनुसार रखी जा सकेगी। मध्य प्रदेश में आयोग का गठन होने के उपरान्त राज्य मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर श्री टी0एन0श्रीवास्तव, सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त किया गया है, जिन्होंने शपथ ग्रहण कर अपने पद का कार्यभार दिनाॅंक 14/10/2005 को ग्रहण किया है एवं दिनांक 31.10.06 को 65 वर्ष की आयु पूर्ण होने से सेवानिवृत्त हुए। दिनांक 26.03.2007 को श्री पी. पी. तिवारी द्वारा शपथ ग्रहण कर पद का कार्यभार ग्रहण किया गया है।

मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग: पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन का सशक्त स्तंभ

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने वाला एक ऐतिहासिक कानून है, जिसने नागरिकों को सरकार और उसके कार्यों के प्रति अधिक पारदर्शिता व जवाबदेही का अधिकार प्रदान किया। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग की स्थापना राज्य में सुशासन, पारदर्शिता और नागरिक सशक्तिकरण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई।

आयोग की स्थापना और प्रारंभिक यात्रा

मध्य प्रदेश में राज्य सूचना आयोग का गठन राज्य सरकार की अधिसूचना क्रमांक एफ-11-11/05/1/9 दिनांक 22 अगस्त, 2005 के माध्यम से किया गया। सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 15 के अनुसार आयोग में एक राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं अधिकतम 10 राज्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की जा सकती है।

आयोग के गठन के पश्चात प्रथम राज्य मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारी श्री टी. एन. श्रीवास्तव को नियुक्त किया गया। उन्होंने 14 अक्टूबर 2005 को अपने पद की शपथ लेकर कार्यभार ग्रहण किया और 31 अक्टूबर 2006 को 65 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर सेवानिवृत्त हुए।

उनके पश्चात 26 मार्च 2007 को श्री पी. पी. तिवारी ने राज्य मुख्य सूचना आयुक्त पद की शपथ लेकर दायित्व संभाला।

राज्य सूचना आयोग के कर्तव्य और दायित्व

सूचना का अधिकार अधिनियम आयोग को कई महत्वपूर्ण शक्तियाँ और दायित्व प्रदान करता है। धारा 18 से 20 के अंतर्गत आयोग के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:

1. द्वितीय अपील और शिकायतों का निवारण

नागरिक यदि लोक सूचना अधिकारी (PIO) या प्रथम अपील प्राधिकारी से संतुष्ट न हों, तो वे आयोग के समक्ष द्वितीय अपील या शिकायत प्रस्तुत कर सकते हैं। आयोग सुनिश्चित करता है कि नागरिकों को समय पर, स्पष्ट और सही सूचना प्राप्त हो।

2. दोषी अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई

यदि कोई अधिकारी जानबूझकर सूचना रोकता है, गलत सूचना देता है, विलंब करता है या अधिनियम का उल्लंघन करता है, तो आयोग:

  • उस पर दंड (Penalty) लगा सकता है

  • राज्य शासन को अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा कर सकता है

यह प्रावधान सरकारी मशीनरी को पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

सूचना प्राप्त करने की प्रक्रिया

सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सूचना प्राप्त करने के लिए नागरिकों को निम्न प्रक्रिया अपनानी होती है:

1. धारा 6 के अंतर्गत आवेदन

सबसे पहले संबंधित विभाग के लोक सूचना अधिकारी (PIO) के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया जाता है। हर लोक प्राधिकारी का दायित्व है कि वह अपने कार्यालय में अधिनियम की धारा 5 के अनुसार PIO नियुक्त करे।

2. सहायक लोक सूचना अधिकारी (APIO)

उप जिला या उप संभाग स्तर के कार्यालयों में सहायक लोक सूचना अधिकारी नियुक्त किए जाने का प्रावधान है। APIO को आवेदन व अपील ज्ञापन प्राप्त करने का अधिकार है, जिससे ग्रामीण एवं दूरस्थ क्षेत्रों के नागरिक भी आसानी से सूचना प्राप्त कर सकें।

लोकतंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में निरंतर प्रयास

मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग न केवल सरकारी कार्यप्रणाली की पारदर्शिता बढ़ाने का कार्य करता है, बल्कि नागरिकों में अधिकारों के प्रति जागरूकता भी बढ़ाता है। सूचना का अधिकार अधिनियम एक ऐसा उपकरण है जो जनता को शासन में भागीदारी एवं निरीक्षण का अवसर प्रदान करता है। आयोग इस व्यवस्था को प्रभावी बनाते हुए राज्य में सुशासन की मजबूत नींव स्थापित कर रहा है।

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