
एक ऐसा दौर जहां सोशल मीडिया की आलोचना हर कोई
कर रहा है वहीं अब फेसबुक से जुड़े लोग भी सामने आकार लोगों को संबोधित करते दिख रहे
हैं इसी घटनाक्रम में एक पूर्व फेसबुक
एग्जिक्यूटिव ने मीडिया कोंफ्रेंस
में फेसबुक की कार्य प्रणाली पर ही सवाल उठा दिए हैं चमथ पलाहिपतिया जो की पूर्व में फेसबुक के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य कर चूके हैं ने कई चौंका देने वाले बिन्दुओ पर प्रकाश डाला और
सोशल मीडिया के उन काले पन्नों को भी खँगालने की कोशिश की जिन्हें दबाने की सोशल मीडिया
हरदम कोशिश में लगा रहता है
चमथ पलाहिपतिया आज सोशल नेटवर्क फेसबुक की तरक्की
के लिए दिए गए अपने योगदान पर पछतावा जता रहे हैं और मीडिया में कड़े शब्दों में फेसबुक की आलोचना करते नहीं थक रहे हैं
चमथ पलाहिपतिया के अनुसार फेसबुक उस धूम्रपान की तरह है जिसे शुरुआत में लोग अपनी स्वायत्तता से करतें हैं व बाद में नशे के अधीन होकर वह नशे के गुलाम बनकर रह जाते हैं फेसबूक भी इसी सिद्धान्त पर कार्य करता है धूम्रपान करने के बाद इंसानी मस्तिष्क में डोपोमिन नामक हारमोन का निर्माण होता है जो आपको अति खुशी व संतोष का अनुभव देता है फेसबुक भी आपके डोपोमिन से खेलकर आपको उसके अधीन बना रहा है और यह कहना मुश्किल सा होता जा रहा है की आप फेसबुक को इस्तेमाल कर रहे हैं या फेसबुक आपको अपने निजी फायदे के लिए !

चमथ पलाहिपतिया द्वारा , 10 नवंबर को स्टैनफोर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस द्वारा चलाए गए एक कार्यक्रम में दी गईं टिप्पणियों ने सामाजिक कार्यकर्ताओं व बुद्धिजीवियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है और चमथ पलाहिपतिया ही नहीं फेसबुक से जुड़े अन्य लोग जैसे शॉन पार्कर ने भी अब अपनी आवाज सोशल मीडिया के खिलाफ बुलंद करना शुरू कर दिया है । इन सभी का मनना है की फेसबुक जिस तरह अपने अस्तित्व में आया वह समाज में लोगों को एक दूसरे से जोड़ने के लिए था पर अब फेसबुक के पास अत्यधिक शक्ति आने से वह सामाजिक ताने बाने को पैसे कमाने के लिए तोड़ता जा रहा है लोगों को उत्पाद बेचने का साधन बना कर पैसे कमाने में लगा हुआ है । नैतिकता को किनारे करके सिर्फ पैसे कमाने के इस खेल पर सभी सोशल मीडिया से जुड़े नाराज हैं व इसकी आलोचना करने में लगे हुए हैं

चमथ पलाहिपतिया ने एक फेसबुक ब्लॉग पोस्ट का हवाला देते हुए उस घटना का ज़िक्र किया जिसमें बताया गया था की किस तरह 10 मिलियन अमेरिकी नागरिकों को रूस की तरफ से अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले और बाद में विज्ञापन दिखाये गए थे । इस फेसबुक ब्लॉग पोस्ट के अनुसार फेसबुक पर रूस के द्वार ठीक अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले समाज को तोड़ने वाले व पॉलिटिकल एजेंडे से जुड़े विज्ञापन दिखाए गए थे जिसमें अप्रवासन व हथियार रखने के अधिकार से जुड़े विज्ञापन भी प्रदर्शित किए गए । विज्ञापनों में दी गयी व फेसबुक पर पड़ी हजारों गलत सूचनाएं, गलतफहमीयां केवल एक अमेरिकी समस्या नहीं है - यह रूसी विज्ञापनों के बारे में भी नहीं है यह एक विकराल रूप लेती वैश्विक समस्या है।
चमथ पलाहिपतिया ने फिर से भारत की एक घटना जिसमे एक अपहरण की अफवाह के चलते 7 लोगों की जान गयी थी का उदाहरण देते हुए कहा की "इसी के तरह की घटनाओं से हम रोज दो चार हो रहे हैं,'आप प्रोग्राम किए जा रहे हैं'सोशल मीडिया के आने से पहले हम लोगों को मिलकर उनसे हाथ मिलाकर उनसे गले लग कर या किसी अन्य तरह से अभिवादन किया करते थे पर आज के सोशल मीडिया युग में हमने सोशल मीडिया के दबाव में अपनी भावनाओं का त्याग करना शुरू कर दिया है जो काम गले लग कर किया जाता था आज वही काम फेसबुक पर लाइक व अंगूठे के निशान को दबा कर किया जा रहा है । अपितु यह एक विवाद का विषय है की यह एक वैज्ञानिक उपलब्धि है या एक भयंकर सामाजिक महामारी !

"आप इसे महसूस नहीं करते लेकिन आपको प्रोग्राम किया जा रहा है।"
चमथ पलाहिपतिया ने कहा कि वह एक समाधान नहीं दे सकता, लेकिन सोशल मीडिया का उपयोग न करके वह खुद अपने परिवार व दोस्तों के निशाने पर आ गया है । सोशल मीडिया के गंभीर विश्लेषण के बाद चमथ पलाहिपतिया ने कहा कि ऐसा नहीं है की फेसबुक ने केवल गलत कार्य ही किए हों कुछ सकारात्मक चीजें भी की हैं। द गार्डियन के इसी मुद्दे से जुड़े आलेख को सोशल मीडिया पर 8,000 बार से जादा साझा किया गया है। “फॉर्मर फेसबुक” शब्द ट्विटर पर कई दिनों तक ट्रेंड करता रहा व 12,000 से अधिक बार सोशल मीडिया प्रयोक्ताओं ने चमथ पलाहिपतिया की टिप्पणी पर चर्चा की।

एक और ट्विटर यूजर ने पोस्ट किया: "मैं पूरी तरह सहमत हूँ। मैंने कुछ समय पहले अपने फेसबुक अकाउंट को हटा दिया था और मैं केवल ट्विटर पर हूं, मुझे यकीन है कि एक दिन मैं इसे भी हटा दूंगा। लोग भूल रहे हैं कि वास्तविक जीवन में कैसे बातचीत करनी है । " कुछ लोगों ने सवाल किया कि क्या समाज की समस्याओं के लिए फेसबुक को दोष देना उचित है या नहीं। "यह वैश्विक कार्पोरेट लालच है और उन सरकारों का नियंत्रण है जो समाज को अलग कर रहे हैं। फेसबुक केवल संचार का एक अतिरिक्त साधन है, जिसे वे भी नियंत्रित करते हैं," एक अन्य ट्विटर यूजर ने टिप्पणी की। फेसबुक पर भी चर्चा हुई थी एक फेसबुक उपयोगकर्ता ने पोस्ट किया: " यह क्या विडंबना है? सामाजिक मीडिया पर सोशल मीडिया के नुकसान के बारे में पढ़ रहे हैं"
चमथ पलाहिपतिया ने बीबीसी
को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा की “ हम
इस बात पर असहमत हो सकते हैं की कौन सी चीज़ सच है और कौन सी चीज़ झूँठ पर अंत में सच
वही होता है जो सच में सच होता है और आप एक छोटे से वक़्त में कितनी भी ज्यादा जाली
लोकप्रियता कमा लें पर अंत में वो आपको पहले से भी अधिक अकेला और खोखला छोड़कर जाती है ”
By
Amit Kumar Yadav 132
एक ऐसा दौर जहां सोशल मीडिया की आलोचना हर कोई कर रहा है वहीं अब फेसबुक से जुड़े लोग भी सामने आकार लोगों को संबोधित करते दिख रहे हैं इसी घटनाक्रम में एक पूर्व फेसबुक एग्जिक्यूटिव ने मीडिया कोंफ्रेंस में फेसबुक की कार्य प्रणाली पर ही सवाल उठा दिए हैं चमथ पलाहिपतिया जो की पूर्व में फेसबुक के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य कर चूके हैं ने कई चौंका देने वाले बिन्दुओ पर प्रकाश डाला और सोशल मीडिया के उन काले पन्नों को भी खँगालने की कोशिश की जिन्हें दबाने की सोशल मीडिया हरदम कोशिश में लगा रहता है
चमथ पलाहिपतिया आज सोशल नेटवर्क फेसबुक की तरक्की के लिए दिए गए अपने योगदान पर पछतावा जता रहे हैं और मीडिया में कड़े शब्दों में फेसबुक की आलोचना करते नहीं थक रहे हैं
चमथ पलाहिपतिया के अनुसार फेसबुक उस धूम्रपान की तरह है जिसे शुरुआत में लोग अपनी स्वायत्तता से करतें हैं व बाद में नशे के अधीन होकर वह नशे के गुलाम बनकर रह जाते हैं फेसबूक भी इसी सिद्धान्त पर कार्य करता है धूम्रपान करने के बाद इंसानी मस्तिष्क में डोपोमिन नामक हारमोन का निर्माण होता है जो आपको अति खुशी व संतोष का अनुभव देता है फेसबुक भी आपके डोपोमिन से खेलकर आपको उसके अधीन बना रहा है और यह कहना मुश्किल सा होता जा रहा है की आप फेसबुक को इस्तेमाल कर रहे हैं या फेसबुक आपको अपने निजी फायदे के लिए !
चमथ पलाहिपतिया द्वारा , 10 नवंबर को स्टैनफोर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस द्वारा चलाए गए एक कार्यक्रम में दी गईं टिप्पणियों ने सामाजिक कार्यकर्ताओं व बुद्धिजीवियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है और चमथ पलाहिपतिया ही नहीं फेसबुक से जुड़े अन्य लोग जैसे शॉन पार्कर ने भी अब अपनी आवाज सोशल मीडिया के खिलाफ बुलंद करना शुरू कर दिया है । इन सभी का मनना है की फेसबुक जिस तरह अपने अस्तित्व में आया वह समाज में लोगों को एक दूसरे से जोड़ने के लिए था पर अब फेसबुक के पास अत्यधिक शक्ति आने से वह सामाजिक ताने बाने को पैसे कमाने के लिए तोड़ता जा रहा है लोगों को उत्पाद बेचने का साधन बना कर पैसे कमाने में लगा हुआ है । नैतिकता को किनारे करके सिर्फ पैसे कमाने के इस खेल पर सभी सोशल मीडिया से जुड़े नाराज हैं व इसकी आलोचना करने में लगे हुए हैं
चमथ पलाहिपतिया ने एक फेसबुक ब्लॉग पोस्ट का हवाला देते हुए उस घटना का ज़िक्र किया जिसमें बताया गया था की किस तरह 10 मिलियन अमेरिकी नागरिकों को रूस की तरफ से अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले और बाद में विज्ञापन दिखाये गए थे । इस फेसबुक ब्लॉग पोस्ट के अनुसार फेसबुक पर रूस के द्वार ठीक अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले समाज को तोड़ने वाले व पॉलिटिकल एजेंडे से जुड़े विज्ञापन दिखाए गए थे जिसमें अप्रवासन व हथियार रखने के अधिकार से जुड़े विज्ञापन भी प्रदर्शित किए गए । विज्ञापनों में दी गयी व फेसबुक पर पड़ी हजारों गलत सूचनाएं, गलतफहमीयां केवल एक अमेरिकी समस्या नहीं है - यह रूसी विज्ञापनों के बारे में भी नहीं है यह एक विकराल रूप लेती वैश्विक समस्या है।
चमथ पलाहिपतिया ने फिर से भारत की एक घटना जिसमे एक अपहरण की अफवाह के चलते 7 लोगों की जान गयी थी का उदाहरण देते हुए कहा की "इसी के तरह की घटनाओं से हम रोज दो चार हो रहे हैं,'आप प्रोग्राम किए जा रहे हैं'सोशल मीडिया के आने से पहले हम लोगों को मिलकर उनसे हाथ मिलाकर उनसे गले लग कर या किसी अन्य तरह से अभिवादन किया करते थे पर आज के सोशल मीडिया युग में हमने सोशल मीडिया के दबाव में अपनी भावनाओं का त्याग करना शुरू कर दिया है जो काम गले लग कर किया जाता था आज वही काम फेसबुक पर लाइक व अंगूठे के निशान को दबा कर किया जा रहा है । अपितु यह एक विवाद का विषय है की यह एक वैज्ञानिक उपलब्धि है या एक भयंकर सामाजिक महामारी !
चमथ पलाहिपतिया ने कहा कि वह एक समाधान नहीं दे सकता, लेकिन सोशल मीडिया का उपयोग न करके वह खुद अपने परिवार व दोस्तों के निशाने पर आ गया है । सोशल मीडिया के गंभीर विश्लेषण के बाद चमथ पलाहिपतिया ने कहा कि ऐसा नहीं है की फेसबुक ने केवल गलत कार्य ही किए हों कुछ सकारात्मक चीजें भी की हैं। द गार्डियन के इसी मुद्दे से जुड़े आलेख को सोशल मीडिया पर 8,000 बार से जादा साझा किया गया है। “फॉर्मर फेसबुक” शब्द ट्विटर पर कई दिनों तक ट्रेंड करता रहा व 12,000 से अधिक बार सोशल मीडिया प्रयोक्ताओं ने चमथ पलाहिपतिया की टिप्पणी पर चर्चा की।
एक और ट्विटर यूजर ने पोस्ट किया: "मैं पूरी तरह सहमत हूँ। मैंने कुछ समय पहले अपने फेसबुक अकाउंट को हटा दिया था और मैं केवल ट्विटर पर हूं, मुझे यकीन है कि एक दिन मैं इसे भी हटा दूंगा। लोग भूल रहे हैं कि वास्तविक जीवन में कैसे बातचीत करनी है । " कुछ लोगों ने सवाल किया कि क्या समाज की समस्याओं के लिए फेसबुक को दोष देना उचित है या नहीं। "यह वैश्विक कार्पोरेट लालच है और उन सरकारों का नियंत्रण है जो समाज को अलग कर रहे हैं। फेसबुक केवल संचार का एक अतिरिक्त साधन है, जिसे वे भी नियंत्रित करते हैं," एक अन्य ट्विटर यूजर ने टिप्पणी की। फेसबुक पर भी चर्चा हुई थी एक फेसबुक उपयोगकर्ता ने पोस्ट किया: " यह क्या विडंबना है? सामाजिक मीडिया पर सोशल मीडिया के नुकसान के बारे में पढ़ रहे हैं"
चमथ पलाहिपतिया ने बीबीसी को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा की “ हम इस बात पर असहमत हो सकते हैं की कौन सी चीज़ सच है और कौन सी चीज़ झूँठ पर अंत में सच वही होता है जो सच में सच होता है और आप एक छोटे से वक़्त में कितनी भी ज्यादा जाली लोकप्रियता कमा लें पर अंत में वो आपको पहले से भी अधिक अकेला और खोखला छोड़कर जाती है ”