Ad
Search by Term. Or Use the code. Met a coordinator today? Confirm the Identity by badge# number here, look for Navpravartak Verified Badge tag on profile.
 Search
 Code
Searching...loading

Search Results, page of (About Results)

जरूरी है भारतीय ग्रामों का योजनाबद्ध विकास - आत्मनिर्भर बुंदेलखंड के लिए एक प्रस्तावित योजना

Gunjan Mishra

Gunjan Mishra Opinions & Updates

ByGunjan Mishra Gunjan Mishra   112

वर्तमान के परिवेश को देखते हुए एक सहज और सटीक तथ्य जो सामने आता है वह ये है कि इंसान के लिए प्रकृति के साथ अनुकूलता बेहद जरुरी है. प्रकृति, प्राकृतिक संसाधनों और व्यक्ति के बीच का सामीप्य वाकई विकास का एक नया अध्याय लिख सकता है. कोरोना के कारण तितर-बितर हुयी अर्थव्यवस्था को संभालने और करोड़ों देशवासियों को एक बार फिर उनके पांव पर खड़ा करने के लिए केंद्र सरकार करोड़ों की योजनायें सामने ला रही है, यह सब अपनी जगह सही हो सकता है लेकिन भारत जैसे कृषि और ग्राम प्रधान देश में वास्तविक प्रगति का सबसे बड़ा पहलू तो हमारे गांवों में ही छिपा है. यानि हमें हमारे गांवों को आत्मनिर्भर बनाना होगा.

जरूरी है भारतीय ग्रामों का योजनाबद्ध विकास - आत्मनिर्भर बुंदेलखंड के लिए एक प्रस्तावित योजना-वर्तमान 

वर्षों से सूखे और जटिल जलवायु की मार झेल रहे बुंदेलखंड को आत्मनिर्भर बनाना है, तो श्री पुष्पेंद्र भाई द्वारा मात्र 20,000 करोड़ की योजना का प्रस्ताव दिया गया है, जो कि केन बेतवा नदियों के गठजोड़ पर हो रहे खर्च से लगभग आधी धनराशि में ही बुंदेलखंड के लोगो का जीवन खुशहाल बना देगी. गुंजन मिश्रा पर्यावरणविद ने प्रस्तावित परियोजना का आर्थिक व पर्यावरणीय मूल्यांकन किया एवं बताया कि इस योजना में केन बेतवा नदियों के गठजोड़ की तरह न कोई विस्थापन और ना ही जगंल एवं जैवविविधता का नुकसान होगा बल्कि इस योजना से किसान आत्महत्या, पलायन, कुपोषण, अन्ना जानवरों की समस्या, उपजाऊ मिटटी का क्षरण, बाढ़ और सूखे जैसी समस्याओं से निजात मिलेगी. यह योजना पूरी तरह से प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भर उद्देश्य को लेकर तैयार की गयी है.

स्थाई आत्मनिर्भर बुंदेलखंड के लिए 20,000 (बीस हजार) करोड़ रूपये की प्रस्तावित योजना का सुझाव निम्न प्रकार से है:

1. 5000 करोड़ की लागत से पांच लाख खेत तालाबों में 150-200 करोड़ घनमीटर बारिश के पानी का संरक्षण. यदि दस-बीस तालाबों के निर्माण की योजना एक ही गांव में बनाकर मशीन का चयन करें तो एल & टी/पोकलैंड 1800-2000 रूपए प्रति घंटे काम पर उपलब्ध होगी और ये मशीने एक घंटे में 80 घनमीटर मिट्टी आसानी से निकाल लेती है. अतएव 40-45 घंटे में 3000-3500 घनमीटर क्षमता के तालाब का निर्माण किसान आपसी सहमति से कर सकते हैं.

2. 1250 करोड़ की लागत से 5 लाख गोबर गैस निर्माण.

3. 250 करोड़ से 5 लाख नाडेप खाद के गड्ढों का निर्माण.

4. 7500 करोड़ की लागत से 5 लाख सौर्य ऊर्जा पम्प.

Ad

5. 3,250 करोड़ लागत से 5 लाख किसानों के खेतों की सुरक्षा के लिए बाड़ का इंतजाम.

6. 5 हजार करोड़ की लागत से किसानों के खेतों पर भवन/गौशाला निर्माण के लिए ब्याज रहित बैंक लोन के माध्यम से आर्थिक सहयोग.

 इस योजना से जो लाभ और परिणाम किसानों को मिलेंगे, उनकी फेहरिस्त भी अच्छी खासी है..  

1. 10 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई के लिए पानी की जरूरत पूरी होगी.

Ad

2. 5 लाख किसान परिवारों की आजीविका सुनिश्चित हो जायेगी, इसके अलावा परोक्ष व अपरोक्ष रूप से मछली, सिंघाड़ा, सब्जी आदि के उत्पादन से अन्य लोगों को भी रोज़गार मिल सकेगा.

3. 10 लाख हेक्टेयर भूमि में जैविक व पोषक अनाजों (कोदो, कुटकी आदि) का उत्पादन होगा, जिनकी विदेशों में बहुत मांग है, इससे देश का विदेशी मुद्रा भण्डार भी बढ़ सकेगा.

4. 10 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में कार्बन संतुलन व 10 करोड़ 5 लाख किलो ग्राम कार्बन डाइ ऑक्साइड (अगर इतना ही पानी बोरवेल से लिया जाये) का उत्सर्जन रोका जा सकेगा.

5. 10 लाख गोवंश का संरक्षण/संवर्धन – बांदा के प्रगतिशील किसान श्री प्रेम सिंह के अनुसार बुंदेलखंड की कृषि भूमि से एक एकड़ से अधिकतम 80 कुंतल अनाज का उत्पादन लिया जा सकता है, जो कि एक गाय के गोबर की खाद से मिटटी से लिया गया कार्बन पूरा हो जायेगा. जो कि 150 किलोग्राम रासायनिक खाद के बराबर है. इस तरह लगभग 10 लाख एकड कृषि भूमि के लिए खाद की उपलब्धता हो जायेगी. जिससे रु 1665 लाख की बचत रासायनिक खाद के माध्यम से होगी एवं खेत की मिटटी का कार्बन भी संरक्षित रहेगा. इससे मृदा व जल प्रदूषण भी रुकेगा.

6. 5 करोड़ पौधों से सुसज्जित वन -बाग आच्छादन, मतलब ये पेड़ पौधें हमें प्रोफेसर दास के अनुसार रु 672 बिलियन की सेवा अपने जीवन के 50 साल में देंगे.

Ad

7. 10 लाख परिवारों के लिए जैविक सब्जियां (5 लाख किचन गार्डन) - नवीनतम राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफ़ाइल (एनएचपी) 2018 के अनुसार, भारत सबसे कम सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय वाले देशों में शामिल है. भारत सरकार जीडीपी के 1.02 प्रतिशत के हिसाब से प्रति दिन सिर्फ 3 रुपये प्रति व्यक्ति के स्वास्थ्य व्यय के साथ 'सभी भारतीयों को स्वास्थ्य आश्वासन' के अपने वादे को पूरा करने की योजना पर कार्य कर रही है. यानि सिर्फ बुंदेलखंड से 438 करोड़ रूपये सरकार स्वास्थ्य के माध्यम से बचत कर सकती है.

8. 5 लाख लोगो को रोज़गार मिलेगा, जिससे पलायन तो रुकेगा ही इसके साथ साथ बाहर के लोगो को भी रोज़ी रोटी मिल सकेगी.

9. 20 लाख लीटर दूध का उत्पादन यानि 6 करोड़ रूपये का सिर्फ दूध का कारोबार प्रतिदिन होगा.

10. 15 लाख किलोवाट (सौर्य ऊर्जा) विद्युत उत्पादन अर्थात 1488 टन कार्बन डाइ ऑक्साइड, 11574 टन सल्फर डाइ ऑक्साइड और 6000 टन नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन यानि प्रदूषण नहीं होगा. 

11. बायोगैस व बागों से जलाऊ लकड़ी उपलब्ध होने के कारण 5 लाख परिवारों के लिए गैस/ ईंधन की उपलब्धता. यानि 700 टन गैस की बचत प्रत्येक महीने होगी व प्रकृति के संसाधनों का संरक्षण होगा.

मई के महीने में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोनावायरस महामारी से उबरने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत आर्थिक पैकेज को किस्त में साझा किया. 5 चरणों में उन्होंने पूरे 20 लाख करोड़ रुपये का फुल बैकअप भी बताया. इसके अंतर्गत पहले चरण में 554550 करोड़, दूसरे चरण के तहत प्रवासी मजदूरों, छोटे किसानों, स्ट्रीट वेंडर्स, आदिवासियों, मध्य वर्गीय परिवारों के लिए राहत कदमों का ऐलान किया, जिसमें 310000 करोड़, आर्थिक पैकेज की तीसरी किस्त के तहत वित्त मंत्री ने कृषि और उससे जुड़े सेक्टर के लिए 11 अहम ऐलान किए.  इसमें 150000 करोड़, चौथा चरण कोयला, डिफेंस, मिनरल, सिविल एविएशन, स्पेस, पावर सेक्टर के लिए रिफॉर्म में 8100 करोड़ का ऐलान हुआ एवं पांचवां चरण आर्थिक पैकेज की पांचवी और आखिरी किस्त के तहत मनरेगा के लिए 40000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन, हेल्थ इंफ्रा पर खर्च बढ़ाने, टेक्नोलॉजी ड्रिवन एजुकेशन के लिए ऐलान किया गया.

अगर इसी आत्मनिर्भर आर्थिक पैकेज को (जिसमें बुंदेलखंड के लिए उपरोक्त योजना के तहत जो सुझाव दिए गए हैं) योजनाबद्ध रूप से (भौगोलिक और जलवायु की स्थिति को देखते हुए) आत्मनिर्भर आर्थिक पैकेज घोषित किया जाता तो ये पैकेज बहुत ज्यादा सार्थक होता. क्योंकि इस तरह की योजनायें ना सिर्फ आर्थिक समृद्धि देगी बल्कि पूरी तरह से प्रकृति के अनुकूल है. वर्तमान समय में जैवविविधता संरक्षण कोरोना जैसी बीमारियों को रोकने लिए कितना महत्वपूर्ण है और जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ और सूखे से देश का आम आदमी एवं किसान कितना परेशान है, यह सभी देखते हुए योजनाओं का निर्माण होना चाहिए. अतः प्राकतिक, सामाजिक व आर्थिक  संतुलन के लिए ऐसी योजनायें बहुत ही महत्वपूर्ण हैं और ऐसे सुझावों पर विचार किया जाना चाहिए.

Leave a comment for the team.
रिसर्च को सब्सक्राइब करें

इस रिसर्च पर अपडेट पाने के लिए और इससे जुड़ने के लिए अपना ईमेल आईडी नीचे भरें.

ये कैसे कार्य करता है ?

start a research
जुड़ें और फॉलो करें

ज्यादा से ज्यादा जुड़े लोग, प्रतिभाशाली समन्वयकों एवं विशेषज्ञों को आकर्षित करेंगे , इस मुद्दे को एक पकड़ मिलेगी और तेज़ी से आगे बढ़ने में मदद ।

start a research
संगठित हों

हमारे समन्वयक अपने साथ विशेषज्ञों को ले कर एक कार्य समूह का गठन करेंगे, और एक योज़नाबद्ध तरीके से काम करना सुरु करेंगे

start a research
समाधान पायें

कार्य समूह पारदर्शिता एवं कुशलता के साथ समाधान की ओर क़दम बढ़ाएगा, साथ में ही समाज में से ही कुछ भविष्य के अधिनायकों को उभरने में सहायता करेगा।

आप कैसे एक बेहतर समाज के निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं ?

क्या आप इस या इसी जैसे दूसरे मुद्दे से जुड़े हुए हैं, या प्रभावित हैं? क्या आपको लगता है इसपर कुछ कारगर कदम उठाने चाहिए ?तो नीचे फॉलो का बटन दबा कर समर्थन व्यक्त करें।इससे हम आपको समय पर अपडेट कर पाएंगे, और आपके विचार जान पाएंगे। ज्यादा से ज्यादा लोगों द्वारा फॉलो होने पर इस मुद्दे पर कार्यरत विशेषज्ञों एवं समन्वयकों का ना सिर्फ़ मनोबल बढ़ेगा, बल्कि हम आपको, अपने समय समय पर होने वाले शोध यात्राएं, सर्वे, सेमिनार्स, कार्यक्रम, तथा विषय एक्सपर्ट्स कोर्स इत्यादि में सम्मिलित कर पाएंगे।
समाज एवं राष्ट्र, जहाँ लोग कुछ समय अपनी संस्कृति, सभ्यता, अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझने एवं सँवारने में लगाते हैं। एक सोची समझी, जानी बूझी आवाज़ और समझ रखते हैं। वही देश संसार में विशिष्टता और प्रभुत्व स्थापित कर पाते हैं।
अपने सोशल नेटवर्क पर शेयर करें

हर छोटा बड़ा कदम मायने रखता है, अपने दोस्तों और जानकारों से ये मुद्दा साझा करें , क्या पता उन्ही में से कोई इस विषय का विशेषज्ञ निकल जाए।

क्या आपके पास कुछ समय सामजिक कार्य के लिए होता है ?

इस एक्शन ग्रुप के सहभागी बनें, एक सदस्य, विशेषज्ञ या समन्वयक की तरह जुड़ें । अधिक जानकारी के लिए समन्वयक से संपर्क करें और अपने बारे में बताएं।

क्या आप किसी को जानते हैं, जो इस विषय पर कार्यरत हैं ?
ईमेल से आमंत्रित करें
The researches on ballotboxindia are available under restrictive Creative commons. If you have any comments or want to cite the work please drop a note to letters at ballotboxindia dot com.

Code# 53663

ज़ारी शोध जिनमे आप एक भूमिका निभा सकते है.