एक मिसाल - हरियाणा के गांव कनाली की महिला सरपंच ने एक एकड़ जमीन कर दी यमुना के नाम
हर रोज उठते नए सवाल का जवाब ढूंढते-ढूंढते कई पुराने सवाल सिर्फ सवाल बन कर रह जाते हैं. सारी जवाबदेही दूसरों पर थोपते-थोपते समाज के प्रति अपनी खुद की जिम्मेदारी हम कहीं भूल जाते हैं. हर रोज देश की कमियों पर आक्रोशित होना आज हमारी आदत बन गई है. हम खुद कोई पहल नहीं करते दूसरों से पहल की उम्मीद भर करते हैं. हम खुद से कोई सवाल नहीं करते हम बस सवाल खड़े करते हैं. समाज को बदलता तो देखना चाहते हैं मगर समाज को बदलने में खुद की भूमिका तय नहीं कर पाते. ऐसे में हमारे सामने हरियाणा के एक छोटे से गांव कनाली की महिला सरपंच एक मिसाल है, समाज और देश की इस प्रेरणाश्रोत को BallotBoxIndia सलाम करता है.

जमीन पर बनेगा तालाब, गंदे पानी का रिसाइकिल करने की है योजना
यमुनानगर हरियाणा
जिले का एक छोटा सा गांव कनाली, आबादी यही कोई 2200 की है. यह गांव भी यमुना के तट पर बसे अन्य गांवों जैसा ही है. फिर भी यह गांव उन गांवों से अलग अपनी पहचान रखता है. यमुना के प्रति इस गांव का समपर्ण देखते ही बनता है. नदी को लेकर गांव के लोग कितने संजीदा है, इसका एक छोटा सा उदाहरण यह है कि इस गांव ने दो साल से अपना गंदा पानी नदी में नहीं डाला. इस पानी को नदी की ओर जाने की बजाय रास्ता दूसरी ओर मोड़ दिया. गंदे पानी से निपटने का यह तरीका बहुत ज्यादा कारगर नहीं रहा. क्योंकि पानी तेजी से बढ़ रहा है. अब यदि गंदे पानी की समस्या को समाधान नहीं किया तो एक न एक दिन पानी फिर नदी में चला जाएगा. इस सोच ने ग्रामीणों को परेशान कर दिया. तब ऐसे मौके पर गांव की महिला सरपंच आगे आई. उन्होंने अपने परिवार की एक एकड़ जमीन यमुना नदी के नाम करने की घोषणा की. यह जमीन यमुना की ओर पानी निकासी के रास्ते पर पड़ती है. इस जमीन पर सरपचं ने तलाब बनाने की घोषणा कर दी. इसमें गांव का गंदा पानी जमा होगा. इस तरह से नदी में गंदा पानी नहीं जाएगा और गांव के गंदे पानी की समस्या का भी समाधान हो जाएगा. सरपंच मंजू ने बताय कि यह निर्णय आसान नहीं था. क्योंकि गांव में जमीन को इस तरह से देना बहुत मुश्किल काम था. दूसरा जमीन के सारे निर्णय पुरुष ही लेते हैं. ऐसे में भी परिवार को बनाना बड़ा काम था. लेकिन पति राजकुमार के सहयोग से मुश्किल आसान हो गई. अब चिंता यह है कि जमीन पर जब तालाब बनेगा तो इससे उनके खेतों में सेम की समस्या आ सकती है. इससे निपटने के लिए वें लगातार भू वैज्ञानिकों से संपर्क कर रहे हैं. जिससे इस तरह की समस्या न आए. यमुनानगर के डीडीपीओ ... ने बताया कि गांव की पंचायत का प्रस्ताव मिला है. इसे विभाग के मुख्यालय में भेज दिया गया. वहां से मंजूरी मिलते ही जमीन यमुना के नाम कर दी जाएगी. इधर सरपंच की दरियादिली को देखते हुए ग्रामीणों ने पंचायती जमीन से एक एकड़ जमीन सरपंच को बदले में देने का निर्णय लिया है.
पूरा गांव यमुना के लिए करता है काम
इस गांव की दूसारी अच्छी बात यह है कि पूरा गांव ही यमुना के लिए काम करता है. हथनी कुंड बैराज जो कि इस गांव से मात्र 15 किलोमीटर दूर है. यहां यमुना नदी का सारा पानी रोक लिया जाता है. इस पानी को यूपी, दिल्ली और हरियाण में बराबर हिस्सो में बांट लिया जाता है. इसके आगे यमुना सूखी रहती है. करीब सात किलोमीटर दूर आगे चलने के बाद यमुना नदी की सहायक नदी सोम नदी है, इसका पानी दोबारा से यमुना को जिंदा करता है. यह पानी बहुत ही कम है. इतना भर की बस यमुना में पानी की उपस्थिति भर बनी रहे.अब इस पानी में भी में यदि प्रदूषित पानी आ जाए तो नदी पूरी तरह से प्रदुषित हो सकती थी. यहीं वजह थी कि इस गांव के लोगों ने अपना गंदा पानी नदी में जाने से रोक रखा था. हालांकि इससे पहले पांच गांव और पड़ते हैं. इनका गंदा पानी भी नदी में जाता था. इस पानी का रास्ता भी बदल कर दूसरी ओर कराया गया है. जिससे नदी में गांवों का गंदा पानी नहीं जाता. कनालसी के ग्रामीण यमुना नदी से इतना प्यार करते है कि साल में एक बार नदी के नाम पर उत्सव मनाते हैं. नदी के किनारों पर पौधा रोपण करते हैं. उनकी खुद देखभल करते हैं. इस वजह से यमुना नदी का जो रूप यहां देखने को मिलता है, वह दिल्ली तक दूसरी किसी जगह दिखाई नहीं देता.
जैविक खेती को दे रहे बढ़ावा
यमुना जियो अभियान के अध्यक्ष कनालसी निवासी राणा किरण पाल ने बताया कि उनकी कोशिश है कि यमुना नदी के किनारे के किसान जैविक खेती करे. इससे नदी में कीटनाशक नहीं जाएंगे. जैविक खेती होने से यहां जीव जंतुओं को भी अच्छा माहौला मिलेगा. उन्होंने बताया कि शुरुआत में अब तकरीबन 20 किसान यमुना के साथ लगते अपने खेतों में रसायनिक खाद और कीटनाश्क नहीं डालते हैं. यदि बाजार से उन्हें उचित सहयोग मिला तो यह रकबा बढ़ भी सकता है.
मिसाल बनेगा यह निर्णय
कनालसी निवासी और यमुना के लिए काम कर रहे अनिल राणा ने बताया कि सरपंच का यह प्रयास मिसाल बनेगा. अभी तो हालात यह है कि यमुना नदी में यमुनागर, करनाल, पानीपत, सोनीपत और दिल्ली के सीवर का पानी बह रहा है. इस पानी को रोकने के लिए प्रयास होने चाहिए. उनके गांव ने एक उदाहरण पेश किया है. इसी तरह का उदाहरण अब दूसरी जगह से भी हो तो यमुना नदी साफ सुथरी हो सकती है. उन्होंने बताया कि नदी में पानी की कमी है, यह तो सब जानते हैं.अब पानी तो आएगा कहां से? हथनी कुंड बैराज से पानी छोड़ा नहीं जा सकता. ऐसे में हमें विकल्प पर ही विचार करना होना. इस दिशा में यदि नदी में गंदा पानी आने से रोक लिया जाए तो पानी की श़ुद्धता बहुत हद तक बरकरार रखी जा सकती है. यह संभव है और इस दिशा में उनके गांव ने उदाहरण पेश किया है. अब इस तरह का प्रयास दूसरी जगह भी होना चाहिए.
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Manoj Thakur 58
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