एक ऐसी नदी जो अपने स्वच्छ जल के कारण कभी कांच के सामान पारदर्शी हुआ करती थी. जिसका जीवनदायिनी जल रोगों को दूर करने वाला शुद्ध और पवित्र हुआ करता था, आज मनुष्यों द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण और गंदगी के कारण विकराल रूप धारण कर चुकी है.
सर्पीले आकार वाली 153 किलोमीटर लम्बी कृष्णी नदी का उद्गम स्थान उत्तर- प्रदेश का सहारनपुर जिला है तथा यह सहारनपुर से निकलकर मुजफ्फरनगर, शामली तथा मेरठ से होकर गुजरती है. इन जिलों से बहते हुए यह नदी बागपत जिले के बरनावा में जाकर हिंडन नदी में मिल जाती है. अतः हम कह सकते हैं कि ‘बरनावा’ हिंडन व कृष्णी नदी का संगम स्थल है. कृष्णी नदी सहारनपुर की प्रमुख नदी ‘हिंडन’ की सहायक नदी के रूप में जानी जाती है, किन्तु आज के परिदृश्य में जब पवित्र नदी हिंडन का अस्तित्व भी खतरे में नजर आ रहा है तो कृष्णी नदी जो कि महज इसकी सहायक है, की यह स्थिति होना तो स्वाभाविक है.

कृष्णी नदी आज से 25- 30 वर्ष पहले इसके किनारे पर स्थित सहारनपुर तथा अन्य गांवों के लोगों के लिए शुद्ध, शीतल व मधुर जल का साधन हुआ करती थी, किन्तु वर्तमान में यह नदी अपने आस- पास के क्षेत्र में हुए औद्योगिक आधिपत्य के कारण संकट में है. पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से कृष्णी नदी में उद्योगों जैसे कि शुगर मिल, डेयरी उत्पाद तथा भट्टियों से निकलने वाले गंदे व विषैले पदार्थों को बिना किसी परवाह के काफी बड़ी मात्रा में डाला जा रहा है, उस कारण रोगों से बचाव करने वाली यह जीवनदायिनी नदी आज घातक रोगों को जन्म दे रही है. उद्योगों के मलजल के कृष्णी नदी में गिरने से नदी का स्वच्छ और शीतल पेयजल दूषित हो गया, जिसका नदी के जल का सेवन करने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर अत्यंत बुरा प्रभाव पड़ा तथा आज वह लोग जानलेवा रोगों से जूझ रहे हैं.

कृष्णी नदी के किनारे पर स्थित गांव के लोगों के अनुसार
कृष्णी नदी के जल से वहां के लोग सांस, त्वचा, पेट, फेफड़े से सम्बंधित रोगों तथा कैंसर तक से ग्रसित हो रहे हैं. नदी का शुद्ध पेयजल आज पीने तो दूर हाथ धुलने के योग्य भी नहीं रहा. इसके बावजूद प्रशासन इस मुद्दे के प्रति काफी लापरवाह नजर आ रहा है. ग्रामवासियों के मुताबिक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किया गया मूल्यांकन और कार्यवाहियां भी महज कागजों तक ही सीमित हैं जब कि वास्तव में उन्होंने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया है. अनवरत जीवनदायिनी निर्मल जल प्रवाहित करने वाली कृष्णी नदी आज कूड़ा- करकट प्रावाहित कर रही है. एक रिसर्च के अनुसार यह नदी सबसे ज्यादा कचरा व अपशिष्ट पदार्थ सहारनपुर जिले के नानौता में तथा दूसरे स्थान पर शामली जिले में प्रवाहित करती है. इस सब की जानकारी होने बावजूद इसके लिए प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है.

कृष्णी नदी की वर्तमान स्थिति वास्तव में चिंता का सबब है. अन्य नदियों की ही भांति ‘कृष्णी नदी’ की यह स्थिति भी नदियों के प्रति लोगों के लापरवाह रवैये का ही परिणाम है. जानलेवा रोगों को जन्म दे रही यह नदी आज लोगों को सन्देश दे रही है कि अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए अब हम सभी को नदियों को स्वच्छ रखने का संकल्प लेना होगा. गौरतलब है कि कृष्णी नदी में गिरने वाले दूषित जल में सिर्फ उद्योगों का ही नहीं बल्कि घरों से निकलने वाला गन्दा पानी भी शामिल है. इसके अलावा भी लोग इसमें कूड़ा- कचरा आदि फेंकते रहते थे. अतः नदियों को स्वच्छ व साफ़ बनाए रखना सिर्फ प्रशासन की ही नहीं बल्कि हम सभी का नैतिक कर्तव्य है, क्योंकि यदि नदियों में जल बचेगा तभी धरती पर जीवन बचेगा.