वार्ड 16, जानकीपुरम प्रथम लखनऊ जिले में आने वाले वार्डों में से एक है, जहां पार्षद की भूमिका में समाजवादी पार्टी से शीबा चाँद सिद्दीकी जी स्थानीय विकास हेतु कार्यरत हैं और उनके पति
चाँद सिद्दीकी पार्षद प्रतिनिधि के रूप में उनका सहयोग कर रहे हैं. जानकीपुरम प्रथम वार्ड में मिली-जुली जनसंख्या का निवास है. जनगणना 2011 के अनुसार इस वार्ड की आबादी लगभग 55,000 है तथा यहां की साक्षरता दर 60-65 फीसदी के करीब है.
वर्ष 2017 में हुए परिसीमन के अनुसार जानकीपुरम प्रथम वार्ड का विस्तार अभिषेक पुरम, वशिष्ठपुरम, सुल्तानपुर गांव, साठफिटा रोड, लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर, रानी खेड़ा, इंजीनियरिंग कॉलेज, आवासीय परिसर, सेक्टर-एफ, सेक्टर-आई, रामपुर निप्स, नेवादा खलीलाबाद, जानकी बिहार, राधेश्यमापुरवा, शिव विहार, आलीशा नगर, आकांशा परिसर-ए, आकांशा परिसर-बी, सरस्वतीपुरम, मड़ियांव गांव, सीता विहार, कृष्णा विहार, चौधरी का पुरवा, गड़रियन का पुरवा सम्मिलित हैं.
वहीँ वार्ड की सीमाओं की बात करें तो जानकीपुरम प्रथम उत्तर में जानकीपुरम विस्तार तक, दक्षिण में रिंग रोड तक, पूर्व में सेक्टर जी जानकीपुरम, सहारा बाउंड्री तथा पश्चिम में रेलवे लाइन लाइन तक विस्तृत है.
स्थानीय निवासियों के लिए मूलभूत सुविधाओं की बात यदि की जाए तो वार्ड में बहुत से विद्यालय, डिग्री कॉलेज मौजूद हैं, जिनमें न्यू ग्रीनवे पब्लिक हाई स्कूल, पायनियर मोंटेंसोरी स्कूल, कृष्णा कान्वेंट इंटर कॉलेज, लखनऊ पब्लिक कॉलेज इत्यादि मौजूद हैं, जो विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए बेहतर विकल्प हैं. साथ ही अस्पतालों, बैंकों, एटीएम, मार्केट्स, इत्यादि की सुविधाएं भी वार्ड में मौजूद हैं. शिव विहार पार्क, दीपक पार्क, अर्जुन तिकोना पार्क जानकीपुरम इत्यादि पार्क यहां स्थानीय निवासियों के टहलने के लिए उपस्थित हैं.
वार्ड की स्थानीय समस्याओं की बात करें तो हालांकि यहां कुछ क्षेत्र विकसित और कुछ अल्पविकसित है. वहीं यहां ग्रामीण और शहरी इलाकों के संयोजन के साथ साथ कुछ सोसाइटी क्षेत्र भी देखें जा सकते हैं. यानि क्षेत्रीय संरचना और विभाजन के आधार पर वार्ड में सड़कों, पेयजल, सीवर इत्यादि से जुड़ी समस्याएं देखी जा सकती हैं.
वहीं हाल ही में स्थानीय विभागों की लापरवाही से भी इस वार्ड के विभिन्न स्थानों में जलभराव की समस्या देखने में आ रही है, जिसके अंतर्गत कनेक्टिंग चैम्बर बनाने के नाम पर सड़कों की खुदाई तो की गई, किन्तु उन्हें बिना दोबारा बनाए छोड़ दिया गया. इस समस्या के चलते बारिश के मौसम में स्थानीय निवासियों को काफी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं.