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  • Swarntabh Kumar
  • East Delhi
  • Nov. 16, 2017, 6:56 p.m.
  • 70
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स्वास्थ्य व्यवस्था, पूर्वी दिल्ली - जारी एक रिसर्च

  • स्वास्थ्य व्यवस्था, पूर्वी दिल्ली  - जारी एक रिसर्च
  • Nov 15, 2017
अस्पतालों में भीड़, डिस्पेंसरियों में मारामारी, इलाज के लिए भटकते लोग, डॉक्टरों का अभाव कुछ ऐसा ही नजारा है देश की राजधानी के पूर्वी दिल्ली का. हम जिस देश की राजधानी में स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधा नहीं उपलब्ध करवा पा रहे हैं वहां हम ग्रामीण इलाकों के बात कैसे करें. एम्स को अगर छोड़ दिया जाए तो क्या आपने कभी सुना है कि हमारे देश का कोई राजनेता सरकारी अस्पताल में अपना इलाज करवा रहा हो. मैंने तो नहीं सुना शायद आपने भी नहीं सुना होगा. आखिर ऐसा क्यों है जवाब खुद इन नेताओं ने दे दिया. जब इलाज का वह स्तर सरकारी अस्पतालों में होगा ही नहीं तो कोई यहां क्यों जाना चाहेगा.
 
अस्पतालों में भीड़, डिस्पेंसरियों में मारामारी, इलाज के लिए भटकते लोग, डॉक्टरों का अभाव कुछ ऐसा ही न
 

ऐसा ही हाल कुछ पूर्वी दिल्ली का भी है जहां स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई है.

दिल्ली सरकार के दावों के मुताबिक सरकारी अस्पतालों में हर मर्ज की दवा फ्री में मिलेगी और साथ ही साथ मरीजों की जांच भी मुफ्त में हो पाएगी. लेकिन साल भर से कहीं ऊपर हो जाने के बावजूद दिल्ली सरकार के अस्पतालों में इस योजना को लागू कराना अभी तक मुश्किल नजर आ रहा है. सबसे पहले तो अस्पतालों की बेहद कमी है, दवाइयों की भी लंबी कतारें हैं, तो वहीं स्टाफ की कमी से अस्पताल जूझ रहे हैं. मुफ्त दवा पाने के इंतजार में दवा खाने के काउंटरों पर लंबी कतारें लगी हैं. जिस विंडो से फार्मासिस्ट दवा देकर मरीजों की परेशानी कम करता है उसके दरवाजे ही बंद पड़े रहते हैं. जहां विंडो खुली है वहां मरीजों की लंबी कतारें लगी हैं मगर घंटों इंतजार के बाद भी कभी-कभी उन्हें दवा ही नहीं मिल पाती. सरकारी अस्पतालों की ऐसी स्थिति अपनी बदहाली बताने के लिए काफी है. 
 
अस्पतालों में भीड़, डिस्पेंसरियों में मारामारी, इलाज के लिए भटकते लोग, डॉक्टरों का अभाव कुछ ऐसा ही न
 
पूर्व में पिछले 15 वर्षों तक दिल्ली की गद्दी पर काबिज कांग्रेस की सरकार और उसके बाद लोगों की उम्मीदों के साथ आई आम आदमी पार्टी की सरकार राजधानी के स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीर बदलने के कितने भी दावे करे मगर पूर्वी दिल्ली के स्वास्थ्य सेवाओं का हाल सरकार के सारे दावों को नाकाम करती है. ऐसा कोई अस्पताल वहां नहीं है जहां डॉक्टरों के साथ-साथ कर्मचारियों की कमी ना हो. कुछ अस्पतालों में तो जीवनरक्षक दवाओं तक का अभाव है. अधिकतर अस्पतालों में मरीजों की लंबी कतारें आम समस्या बन चुकी है. 

पूर्वी दिल्ली भी इसी अभाव में जूझ रही है.

पूर्वी दिल्ली के गुरु तेग बहादुर अस्पताल में कहने के लिए तो दवा वितरण के 10 काउंटर है लेकिन इन 10 में से तीन काउंटर कर्मचारियों की कमी से बंद पड़ा रहता है. इसी वजह से मरीजों ‌ को दबा पाने के लिए बेहद मशक्कत करना पड़ता है. दवाओं की उपलब्धता के मामले में पूर्वी दिल्ली का लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल एलएनजेपी और जीटीबी से बेहतर स्थिति में है. मगर स्थिति यहां भी सुधारने बहुत जरूरी है. 
 
अस्पतालों में भीड़, डिस्पेंसरियों में मारामारी, इलाज के लिए भटकते लोग, डॉक्टरों का अभाव कुछ ऐसा ही न
 
पूर्वी दिल्ली की पूरी आबादी के लिए कुछ ही सरकारी अस्पताल हैं. गुरु तेग बहादुर अस्पताल, राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल, डॉक्टर हेडगेवार अस्पताल, चाचा नेहरू अस्पताल, शास्त्री पार्क में स्थित जगप्रवेश चंद्र अस्पताल तो साथ ही पूर्वी दिल्ली नगर निगम का स्वामी दयानंद अस्पताल है इसके अलावा मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान संस्थान और कैंसर अस्पताल आदि भी है मगर इतनी बड़ी आबादी को प्राइवेट अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता है. कारण है कि इन अस्पतालों पर लोगों का कम भरोसा, साथ में अधिकांश अस्पतालों में स्टाफ की कमी लगातार बनी रहती है. गुरु तेग बहादुर अस्पताल में सिर्फ उसी के स्टाफ की कमी नहीं बल्कि 500 से अधिक स्टाफ की कमी है. वर्ष 2007 के दौरान जगप्रवेश चंद्र अस्पताल के 100 बिस्तरों वाले अस्पताल को 200 बिस्तरों वाले अस्पताल में तब्दील किया गया मगर बिस्तर ओ की संख्या दोगुनी तो कर दी गई मगर उसी अनुपात में ना तो डॉक्टरों की संख्या बढ़ाई गई नहीं स्टाफ की संख्या. इतना ही नहीं इस दौरान अस्पताल में काफी संख्या में कर्मचारी सेवानिवृत्त होते रहे मगर उसके बदले भी स्टाफ की नियुक्ति नहीं की गई. लगभग यही स्थिति दूसरे अस्पतालों की भी है. 
 
अस्पतालों में भीड़, डिस्पेंसरियों में मारामारी, इलाज के लिए भटकते लोग, डॉक्टरों का अभाव कुछ ऐसा ही न
 
ऐसी स्थिति देश की राजधानी में है. जहां स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधा के अभाव में पैसे वाले लोग तो निजी अस्पताल में जाकर अपना इलाज करवा लेते हैं मगर गरीब जनता के सामने कोई भी चारा नहीं होता. आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद मोहल्ला क्लीनिक जैसे कांसेप्ट तो बनाए गए जो कि काफी उम्दा और बेहतरीन हैं मगर इस का भी पूर्ण ढंग से इस्तेमाल नहीं किया जा सका है. आज राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी सोचने की आवश्यकता है कि हम विकास का पैमाना आखिर क्या बनाए जब हम एक स्वास्थ्य की सुविधा तक पूर्ण ढंग से लोगों को मुहैया नहीं करवा पा रहे हैं. बेशक हमारे सामने स्वास्थ्य की ढेर सारी चुनौतियां है मगर इससे निपटने की भी जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की ही नहीं हम सब की भी है. 
 
अस्पतालों में भीड़, डिस्पेंसरियों में मारामारी, इलाज के लिए भटकते लोग, डॉक्टरों का अभाव कुछ ऐसा ही न
 
आज सभ्य समाज के साथ नेताओं को इसके लिए प्रयास करने की आवश्यकता है. हमारे नेता और हमारे समाज के लोग मिलकर ही एक सतत स्वास्थ्य प्रणाली का विकास कर सकते हैं. इस रिसर्च में हम पूर्वी दिल्ली में होने वाले स्वास्थ्य संबंधी कार्यों का अवलोकन करेंगे समस्याओं और उनके समाधान जो स्थानीय तौर पर लाए जा रहे हैं उन पर ध्यान देते हुए उनकी संभावनाओं की तलाश करेंगे जिससे पूर्वी दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरे. आज हमें ऐसे लोगों की जरूरत है जो स्वत: ही इस दिशा में आगे बढ़ काम करने के लिए सामने आए और समाज के लिए एक प्रेरणा का काम कर सके.
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