पश्चिमी चंपारण जिले का मुख्यालय बेतिया शहर अपने समृद्ध इतिहास और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन की कर्मभूमि के रूप में जाना जाता है. 16वीं शताब्दी में बेतिया को बेंत के वन क्षेत्र के तौर पर मान्यता प्राप्त थी और उस समय इसे "बेतवनिया" भी कहा जाता था. ब्रिटिश शासन काल में बेतिया राज को दूसरी सबसे बड़ी जमींदारी का गौरव मिला हुआ था. यह नगर मुख्यत हरहा नदी की तलहटी में बसा हुआ है.
इस स्थान को सत्याग्रह आन्दोलन की कर्मभूमि के रूप में भी देखा जाता है क्योंकि यहां मौजूद हजारी मल धर्मशाला में रहते हुए ही बापू ने सत्याग्रह आंदोलन की नींव रखी थी. साथ ही बेतिया को प्राचीन संगीत विद्या ध्रुपद के लिए भी जाना जाता है. बेतिया सुविख्यात फिल्म निर्देशक प्रकाश झा की जन्मभूमि भी है. बेतिया में बहुत से दर्शनीय स्थल, स्मारक, मंदिर, घाट इत्यादि भी मौजूद हैं.
(दुर्गाबाग़ मंदिर)
बेतिया विधानसभा बिहार राज्य की उन 36 सीटों में से एक है, जिनमें VVPAT के द्वारा चुनाव होते हैं. यह सीट पश्चिमी चंपारण लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. वर्ष 2008 में हुए परिसीमन के पश्चात यह विधानसभा क्षेत्र बेतिया सामुदायिक विकासखंड व मंझौलिया ब्लॉक की परसा, रामनगर बनकट, लाल सरैया, राजाभर, माधोपुर, बिसंभरपुर आदि पंचायतों के सम्मिश्रण से बना है.
राजनैतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो इस विस सीट पर प्रथम चुनाव वर्ष 1951 में हुआ था और तब से 1985 तक के चुनावी सफ़र में यहां कांग्रेस का दबदबा रहा है. बेतिया में 11 बार कांग्रेस ने अपना परचम लहराया है. हालांकि वर्ष 1985 के बाद से यहां भारतीय जनता पार्टी की भी लहर रही लेकिन वर्ष 2015 में हुए विस चुनावों में यहां की जनता ने एक बार फिर कांग्रेस को अपना समर्थन देते हुए मदन मोहन तिवारी को विजयी बनाया.